IMF चीफ की गुहार, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध पर भारत फिर से विचार
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने भारत से अपील की है कि वह गेंहू के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाए। शायद यह पहली बार है जब आईएमएफ की चीफ ने भारत के सामने इस तरह से हाथ फैलाया है और सच में कहा है कि मैं भारत से भीख मांगती हूं वह गेंहूं पर लगे निर्यात के प्रतिबंध को हटाए। वर्ल्ड इकोनॉमिक समिट के कार्यक्रम में एनडीटीवी से बात करते हुए क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि मैं भारत से भीख मांगती हूं कि वह गेंहूं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध पर फिर से पुनर्विचार करे।
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि अगर भारत के उदाहरण को लेते हुए अगर अन्य देश ऐसा कदम उठाते हैं तो दुनियाभर में खाद्य आपूर्ति का संकट आएगा और भुखमरी की दिक्कत आएगी। ऐसे में अगर इस तरह की समस्या होती है तो आईएमएफ को इस समस्या को सुलझाना होता है। क्रिस्टालिना जॉर्जीवा का कहना है कि अगर वैश्विक स्तर पर खाद्य आपूर्ति ठप होती है तो कई देश हमसे संपर्क करेंगे और हमपर निर्भर होंगे, जिससे आने वाले समय में भुखमरी जैसी समस्या आ सकती है।
दुनियाभर की अर्थव्यवस्था कमजोर वित्तीय स्थिति काफी मुश्किल दौर से गुजर रही है, चीनी अर्थव्यवस्था भी नीचे जा रही है। यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध का असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है। कुछ देश महामारी से बेहतर तरह से उबर चुके हैं जबकि कुछ काफी मुश्किल में हैं। कई देश अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर नहीं कर पाए हैं और भारी कर्ज में हैं। अच्छी बात यह है कि अभी वैश्विक मंदी नहीं है। भारत गेंहू का निर्यात करता है, अगर भारत निर्यात पर प्रतिबंध को खत्म करता है तो इससे दुनियाभर को राहत मिलेगी क्योंकि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। गंभीर खाद्य संकट खाद्य असुरक्षा के बारे में क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि यह काफी गंभीर समस्या है। मौसम के चलते कई जगहों पर कृषि प्रभावित हुई है। रूस और यूक्रेन से आयात रुकने की वजह से जरूरी चीजों की आपूर्ति पर असर पड़ा है।
तेल की कीमतें काफी बढ़ी है। हम चाहते हैं कि दुनिया एकजुट होकर सामने आए जिससे दुनिया की खाद्य सुरक्षा मिल सके और लोगों को मुश्किल का सामना ना करना पड़े। भारत 1.35 बिलियन लोगों का पेट भरता है, मैं भारत से कहना चाहूंगी कि वह गेहूं पर लगे निर्यात पर प्रतिबंध को खत्म करे। क्या है भारत का निर्यात प्रतिबंध जिस तरह से भारत ने गेंहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है उसके बाद यह समझने वाली बात है कि क्या वैश्विक स्तर पर सच में खाद्य आपूर्ति की समस्या गंभीर है। पहले तो यह समझ लें के भारत ने गेंहूं के निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाया है वह निजि कंपनियों पर लगाया है, यानि अगर कोई देश आपात स्थिति में गेंहूं की खरीद करना चाहता है तो वह सरकार से खरीद सकता है, लेकिन निजी कंपनियों से नहीं खरीद सकता है। 33 फीसदी बढ़े दाम युनाइटेड नेसंश ने अपने आधिकारिक बयान में चेतावनी दी है कि आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादों की कमी होने वाली है। पिछले एक साल में दुनियाभर में खाद्य पदार्थों के दाम तकरीबन 33 फीसदी बढ़ गए हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से गेंहू के निर्यात में बड़ी कमी आई है। इसके अलावा खाद की आपूर्ति भी कम हुई है क्योंकि रूस इसका सबसे बड़ा निर्यातक देश है। बड़े स्तर पर खाद का प्रयोग किए बगैर खेती काफी मुश्किल है। ऐसे में रूस पर लगे प्रतिबंध के चलते दुनियाभर में खाद की कमी है और खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं। भारत क्या कदम उठा रहा भारत ने रूस के साथ एक डील की है जिसके तहत भारत ने रूस से कहा है कि हम आपको टी मेडिसिन देंगे, इसके बदले में भारत रूस से खाद लेगा। लिहाजा भारत में खाद की कमी नहीं होने वाली है। वहीं जॉर्डन ने भी बड़े स्तर पर खाद की सप्लाई के लिए एक बड़ी इंडस्ट्री शुरू की है और भारत ने जॉर्डन के साथ समझौता किया है, लिहाजा खाद की कमी होने पर भारत जॉर्डन से भी खाद का आयात कर सकता है। जिस तरह से भारत के पास कई विकल्प मौजूद हैं उसके चलते भारत में खाद्य संकट की संभावना कम है।
सब्सिडी देने का दिया था सुझाव
हाल ही में आईएमएफ ने कहा था कि खाद्य उत्पादों की कमी के चलते देशों को इसपर सब्सिडी देनी शुरू कर देनी चाहिए। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर देश ऐसा कर सकते हैं, ऐसा वहीं देश कर सकते हैं जिनके पास विदेशी मुद्रा मौजूद है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित कर सकती है, हम लोगों को और भी सहयोग देने के लिए तैयार हैं। लिहाजा सरकार के रुख से स्पष्ट है कि वह इस समय में सहज स्थिति में हैं और खाद्य संकट को संभाल सकती है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में कई सब्सिडी का ऐलान किया जा सकता है। साथ ही इस बात की संभावना है कि भारत आने वाले समय में चीनी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा सकता है।