भारत को पड़ोसी देशों से बड़ी टेंशन, पीएम मोदी ने उठाया बड़ा कदम
दिल्ली, 25 जून 2020 दस्तक (ब्यूरो) : हिन्दुस्तान इस समय अपने पड़ोसी देशों से जूझ रहा है। चाहे वो नेपाल हो या फिर पाकिस्तान या बांग्लादेश हो या चीन। लेकिन इन्हीं तमाम विपरीत परिस्थितियों में भूटान और भारत के संबंध इस मामले में बिल्कुल ही अछूते रहे हैं लेकिन अब यहां से भी सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा। कुछ ही महीने पहले भूटान ने पर्यटक के तौर पर आने वाले भारतीयों से भी हर दिन हजार रुपये से ज्यादा शुल्क लेने का फैसला किया था। अब असम के बक्सा जिले के किसान भूटान की ओर पानी रोके जाने से परेशान हैं।
कोरोना वायरस की वजह से भूटान सरकार ने देश के भीतर किसी बाहरी की एंट्री बैन कर दी है और भारतीय किसानों को भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। बक्शा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के 6000 से ज्यादा किसान सिंचाई के इसी स्रोत (स्थानीय इसे डोंग कहते हैं) पर निर्भर हैं। 1953 के बाद से ही स्थानीय किसान अपने धानों के खेतों की सिंचाई भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी से करते रहे हैं। हालांकि, भूटान की तरफ से अचानक पानी रोके जाने के बाद भारतीय किसान काफी गुस्से में हैं।
बक्शा जिले के किसान समेत सिविल सोसायटी के सदस्यों ने भी इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और भूटान सरकार के पानी रोके जाने के फैसले को लेकर चिंता जताई। प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक रोंगिया-भूटान सड़क को भी जाम रखा।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि केंद्र सरकार भूटान की सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाए और किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसका समाधान करने की कोशिश करे।
हर साल इस वक्त स्थानीय किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में प्रवेश करते हैं और काला नदी के पानी को अपने खेतों में लाकर सिंचाई करते हैं। हालांकि, इस साल कोरोना वायरस की महामारी की वजह से भूटान सरकार के अधिकारियों ने भारतीय किसानों को एंट्री देने से इनकार कर दिया है।
प्रदर्शन में शामिल एक किसान ने कहा कि बिना पानी के उन्हें तमाम समस्याओं को सामना करना पड़ेगा. किसान ने कहा, भूटान की तरफ डोंग बांध बनाकर हम अपने धान के खेतों में पानी लाते थे। लॉकडाउन की वजह से भूटान की सरकार ने हमारी एंट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। हम धान के खेतों के लिए सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो हम प्रदर्शन तेज कर देंगे।