Navy के लिए फ्रांस से 26 राफेल खरीदेगा भारत, 63 हजार करोड़ की डील हुई फाइनल हिंद महासागर में होगी तैनाती

मुंबई : भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदने के लिए मेगा डील को मंजूरी दे दी है. रक्षा सूत्रों ने बुधवार को आजतक को यह जानकारी दी. दोनों देशों की सरकारें 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस रक्षा सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर राफेल मरीन जेट मिलेंगे. डील पर मुहर लगने के बाद राफेल मरीन विमानों की डिलीवरी 2029 के अंत से शुरू होगी और 2031 तक भारतीय नौसेना को सभी 26 विमान मिल जाएंगे. इन विमानों का निर्माण फ्रांस की प्राइवेट एविएशन कंपनी डसॉल्ट एविएशन करेगी.
इन राफेल-एम विमानों की तैनाती INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमान वाहक युद्धपोतों पर होगी. अभी तक भारतीय नौसेना के ये दोनों जहाज अपने मिशनों को पुराने हो चुके मिग 29-K लड़ाकू विमानों के साथ अंजाम देते हैं. राफेल-एम विमानों की फ्लीट, पुराने हो चुके मिग-29K विमानों की फ्लीट को रिप्लेस करेगी. सूत्रों के मुताबिक, इस डील के तहत 26 राफेल मरीज जेट्स के अलावा फ्लीट के मेंटेनेंस, लॉजिस्टिक सपोर्ट, कर्मियों की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी फ्रांस की होगी. इसके अलावा ऑफसेट दायित्वों के तहत इन विमानों के कलपुर्जों और उपकरणों का निर्माण भारत में ही करना होगा. इस पैकेज में नौसेना कर्मियों की ट्रेनिंग भी शामिल है.
जिन 26 राफेल विमान को खरीदने की तैयारी है उनमें से 22 विमान सिंगल सीट वाले होंगे, जबकि चार विमानों में दो पायलट के बैठने की जगह होगी. सूत्रों के अनुसार इन विमानों को मुख्य रूप से स्वदेशी रूप से निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. इससे भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधियों पर नजर रखने में और आसानी होगी. साथ ही इससे भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करना चाहता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने इस सौदे को मंजूरी दी है. राफेल मरीन, राफेल लड़ाकू विमान का एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए डिजाइन किया गया संस्करण है, जो अपनी एडवांस एवियोनिक्स, वेपन सिस्टम और एयर वारफेयर में अपनी कुशलता के लिए जाना जाता है. राफेल-एम को विमानवाहक पोतों से अंजाम दिए जाने वाले मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें मजबूत लैंडिंग गियर, अरेस्टर हुक्स और शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (STOBAR) ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए मजबूत एयरफ्रेम की सुविधा है. ‘
यह एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग नौसेना के विमानवाहक पोतों पर लड़ाकू विमान के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए किया जाता है, क्योंकि एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर रनवे छोटा होता है. ऐसे में बहुत कम दूरी में लड़ाकू विमानों को उड़ान भरनी और लैंडिंग करनी होती है. भारतीय वायु सेना (आईएएफ) पहले से ही अंबाला और हाशिमारा स्थित अपने एयरबेस पर 36 राफेल फाइटर जेट्स का संचालन कर रही है. बता दें कि फ्रांस के साथ डसॉल्ट एविएशन के 36 राफेल फाइटर जेट के लिए यह डील मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में फाइनल हुई थी. नया राफेल मरीन डील भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करेगा, जिसमें इसके ‘बडी-बडी’ एरियल रिफ्यूलिंग सिस्टम को उन्नत करना भी शामिल है. यह सुविधा भारतीय वायुसेना के लगभग 10 राफेल विमानों को हवा में ही ईंधन भरने में सक्षम बनाएगी, जिससे उनका ऑपरेशनल रेंज बढ़ जाएगा.
ये नए राफेल एम विमान, पुराने MiG-29K और MiG-29KUB विमानों की जगह लेंगे। ये पुराने विमान अभी भारतीय नौसेना के 300 स्क्वाड्रन (INAS 300) ‘व्हाइट टाइगर्स’ और 303 स्क्वाड्रन (INAS 303) ‘ब्लैक पैंथर्स’ में इस्तेमाल हो रहे हैं। नए राफेल जेट आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य नाम के एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरेंगे। ये विशाल जहाज समुद्र में तैरते हुए हवाई अड्डे की तरह होते हैं।
राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन भारत में अपनी एक असेंबली लाइन लगाने पर भी विचार कर रही है। इसका मतलब है कि कुछ राफेल विमान भारत में ही बनाए जाएंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि भारत समेत कई देशों से राफेल विमानों के बहुत सारे ऑर्डर मिले हैं। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी के तहत खरीदे जाने वाले 60% हथियार भारत में ही बनने चाहिए।
भारत के इस नए ऑर्डर को मिलाकर दसॉ एविएशन के पास कुल 256 राफेल विमान बनाने के ऑर्डर हैं। इनमें से 190 विमान दूसरे देशों के लिए और 56 विमान फ्रांसीसी वायु सेना के लिए हैं। दसॉ अभी हर महीने तीन विमान बनाती है। इस हिसाब से सभी ऑर्डर पूरे करने में लगभग 7 साल लग जाएंगे। फरवरी में फ्रांस के रक्षा मंत्री ने 20 से 30 और राफेल विमान खरीदने की योजना की घोषणा की थी। इससे साफ है कि राफेल विमानों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है।
भारत ने जुलाई 2023 में ही 26 और राफेल विमान खरीदने की योजना बना ली थी। उस समय रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए 26 राफेल और तीन स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों की खरीद को मंजूरी दे दी थी। भारत ने 2016 में 36 राफेल विमानों का ऑर्डर दिया था। इनमें से आखिरी दो विमान दिसंबर 2022 में भारत पहुंचे थे।
इन 36 विमानों में भारत की खास जरूरतों के हिसाब से 13 बदलाव किए गए थे। इनमें एक इजरायली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम, मीटिऑर गाइडेड मिसाइल समेत कई तरह की मिसाइलें, 10 घंटे का डेटा स्टोर करने वाले फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, इन्फ्रारेड टारगेट ट्रैकिंग सिस्टम, बेहतर रडार, ऊंचाई वाले एयरफील्ड से उड़ान भरने के लिए कोल्ड वेदर इंजन स्टार्टर और भी बहुत कुछ शामिल है। इन बदलावों से भारतीय वायुसेना की ताकत और बढ़ गई है। नए राफेल विमान भी इन्हीं खूबियों से लैस होंगे और भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करेंगे। ये नए विमान हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा को और मजबूत बनाएंगे।