बैंगलोर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार (19 फ़रवरी) को कहा है कि ‘चंद्रयान-3’ के ‘लैंडर’ का एक प्रमुख परीक्षण ‘इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंटरफेरेंस/इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी’ (EMI/EMC) का सफल रहा है। ये टेस्ट 31 जनवरी से 2 फरवरी के मध्य यू.आर. राव उपग्रह केंद्र में किया गया था। इस तरह चंद्रमा पर भारतीय उपस्थिति को और अधिक पुख्ता करने के लिए ‘चंद्रयान-3’ मिशन में ISRO ने एक महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया है।
ISRO ने बताया है कि अंतरिक्ष वातावरण में उपग्रह उप-प्रणालियों की कार्यक्षमता और अपेक्षित विद्युत चुम्बकीय स्तरों के साथ उनकी अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह अभियान के लिए EMI/EMC टेस्ट किया जाता है। ISRO ने कहा कि चंद्रयान-3 के लैंडर के EMI/EMC टेस्ट के दौरान यह सभी जरूरी संचालन मानकों पर खरा उतरा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया है कि प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। बता दें कि यह चंद्रयान-2 के बाद का अभियान है। वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर रोवर उतारने का भारत का पहला प्रयास उस समय विफल हो गया था, जब यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-3 के जून में प्रक्षेपित होने का अनुमान जताया जा रहा है। इससे भारत पूरे विश्व में यह साबित कर देगा कि देश के पास चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित उतरने और इधर-उधर घूमने के लिए आरम्भ से लेकर अंत तक समग्र क्षमता है।