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समुद्री डकैतों को मुंहतोड़ जबाव देगा भारत

विवेक ओझा

सागर सुरक्षित हैं तो समृद्धि सुनिश्चित है , यह बात इस समय इसलिए कही जा रही है कि अरब सागर, अदन की खाड़ी, लाल सागर, बाब अल मंदेव जलसंधि यमन के हूती विद्रोहियों और समुद्री लुटेरों केहमलों का सामना कर रहे हैं। सबसे गंभीर बात तो यह है कि भारत जैसे शांतिप्रिय देश के समुद्री जहाजों को पिछले कुछ दिनों में हूतियों के ड्रोन हमलों का सामना करना पड़ा है। सबसे पहले सऊदी अरब से भारत के मंगलुरू कच्चा तेल ले कर आ रहे व्यापारिक पोत एमवी केएम प्लूटो पर अरब सागर में भारतीय तट के पास हूतियो द्वारा ड्रोन हमला किया गया और उसके बाद दक्षिण लाल सागर में तेल से भरे समुद्री जहाजों एम वी साईबाबा और एमवी ब्लामानेन पर ड्रोन हमला किया गया है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड का कहना है कि एमवी साई बाबा भारतीय ध्वज वाला और एमवी ब्लामानेन नार्वे के ध्वज वाला ऑयल टैंकर है जबकि भारत ने साफ किया है कि एमवी साईबाबा भारतीय पोत नही है बल्कि अफ्रीकी देश गैबन के ध्वज वाला पोत है। लेकिन यहां मूल प्रश्न ये नहीं है कि कौन सा पोत कौन से देश के ध्वज वाला है।

मूल प्रश्न यह है कि हिंद महासागर सहित कई समुद्री इलाके समुद्री लुटेरों, अलगाववादी विद्रोहियों, क्षेत्रीय राजनीति के एजेंट देशों के निशाने पर आ गए हैं। हिंद महासागर के समुद्री व्यापारिक मार्ग दुनिया के 80 प्रतिशत ऑयल ट्रेड के लिए केन्द्रीय धुरी हैं और एनर्जी ट्रेड वाले देशों के लिए यह दुर्भाग्य रहा है कि हिंद महासागर हॉर्न ऑफ अफ्रीका, गल्फ ऑफ अदन, रेड सी क्षेत्र के कुछ अराजक तत्वों से प्रभावित होता रहा है। समुद्री डकैती इन क्षेत्रों की एक पहचान बन गई। हिंद महासागर क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि बहुत से देशों की सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी है। कई महासागर आधारित उद्योगों विशेषकर शिपिंग के लिए हिंद महासागर तो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मलक्का जलडमरूमध्य हो या होरमुज स्ट्रेट, बाब अलमंदेव की खाड़ी हो या यमन की खाड़ी, अरब सागर का विस्तार हो या बंगाल की खाड़ी सहित अंडमान सागर ये सभी जलराशियां हिंद महासागर की गौरवपूर्ण महत्ता की गवाह हैं।

समुद्री जहाजों पर हमले के संभावित कारण
हिंद महासागर और मिडिल ईस्ट में भू राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को इस प्रकार की स्थिति के लिए एक जिम्मेदार कारण के रूप में देखा जा सकता है। जब से इजरायल और फिलीस्तीन के बीच युद्ध शुरू हुआ, खासकर इजराइल ने हमास को निशाना बनाया तब से हमास को कई फ्रंट पर सहयोग और समर्थन मिला है। ईरान ने हमास को समर्थन दिया और ईरान ही यमन के हूती विद्रोहियों को भी सहयोग देता है। ईरान लेबनान के हिजबुल्लाह को भी सहयोग, वित्तीय समर्थन देने के लिए जाना जाता है। इजरायल के खिलाफ इन सभी ने एकजुट होकर अलग अलग फ्रंट पर मोर्चा संभाला। इसी क्रम में यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल फिलिस्तीन विवाद से आगे बढ़ते हुए स्थिति को और जटिल बनाने के लिए लाल सागर और बाब अल मंदेव जलसंधि में एनर्जी शिप्स को निशाना बनाने की ठानी। यह सर्वविदित है कि अमेरिका ईरान को शत्रु देश घोषित कर चुका है और उसे नाभिकीय कार्यक्रम से लेकर, मिडिल ईस्ट में टेरर फंडिंग और चीन से गठजोड़ के मुद्दे पर फटकार लगाता रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत की विदेश नीति में अमेरिका को हालिया समय में दिए गए महत्व के आधार पर यह आसानी से समझा जा सकता है कि भले ही भारत ईरान संबंध कितने अच्छे रहे हों लेकिन ईरान को भारत की यूएस के साथ अति नजदीकी रास तो नहीं ही आती होगी। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फारस की खाड़ी, हारमुज जलसंधि, अदन की खाड़ी और बाब अल मंदेव में शांति और सुरक्षा के लिए ईरान जैसे देशों को विश्वास में लेना जरूरी है।

दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनियों मस्र्क, हापग लॉयड और एमएससी की चिंताएं ऐसे घटनाक्रम से बढ़ गईं और पिछले कुछ सप्ताह में रेड सी में समुद्री यातायात में 35 प्रतिशत की कमी भी देखी गई है। इससे ग्लोबल एनर्जी ट्रेड और सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो सकती है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्फीतिकारी दबाव भी झेलना पड़ सकता है। इसलिए जब मस्र्क जैसी कंपनियों को रेड सी में मल्टीलैटरल सिक्योरिटी इनिशिएटिव ‘ऑपरेशन प्रोस्पेरिटी गार्जियन’ की तैनाती का आश्वासन मिला तो इन कंपनियों ने रेड सी में फिर से व्यापारिक गतिविधियों को शुरू करने का निर्णय लिया है। दरअसल पश्चिमी देशों के नेतृत्व में यह पहल इसलिए शुरू किया गया है क्योंकि रेड सी और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले जहाज एशिया को यूरोप और यूएस से कनेक्ट करते हैं।

हिंद महासागर में बढ़ीं समुद्री डकैती की घटनाएं
सूचना संलयन केन्द्र-हिंद महासागर क्षेत्र द्वारा संकलित हालिया आंकड़ों में कहा गया है कि 2022 में 161 समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती की घटनाएं हुईं जो समुद्री क्षेत्र में चिंता का एक प्रमुख कारण बन गई हैं। एक तरफ भारत समुद्री मार्ग से व्यापार और व्यवसाय पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है वहीं रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले साल हिंद महासागर क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, तस्करी, अवैध और अनियमित मछली पकड़ने और अनियमित मानव प्रवास की 4728 घटनाएं हुईं हैं। इस तरह हिंद महासागर के तटीय देश आज एक साथ कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ताजा मामला लाल सागर में समुद्री डकैती से जुड़ा है जिससे निपटने के लिए भारत भी सक्रिय हो गया है। समुद्री डाकुओं द्वारा कुछ ही समय पहले माल्टा ध्वज वाले मालवाहक जहाज के अपहरण के बाद भारतीय नौसेना ने अपने समुद्री डकैती रोधी मिशन को तेज कर दिया है। इसके तहत भारत ने अदन की खाड़ी में दूसरा फ्रंटलाइन पोत तैनात कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि यूनाइटेड किंगडम समुद्री व्यापार संचालन-यूकेएमटीओ के पोर्टल पर 14 दिसंबर 2023 की रात को माल्टा के ध्वज वाले जहाज एमवी रुएन पर संभावित समुद्री डकैती की घटना के बारे में एक रिपोर्ट की जानकारी मिली थी जिसमें बताया गया कि जहाज पर छह अज्ञात कर्मी सवार थे। अपहृत किये गए जहाज को 17 दिसंबर 2023 को सोमालिया के जल क्षेत्र में (बोसासो से दूर) ले जाया गया। चूंकि भारत हिंद महासागर की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और सागर विजन के आधार पर काम करता है। अत: इस घटना की जांच के लिए त्वरित कार्रवाई हेतु तैनात भारतीय नौसेना का समुद्री गश्ती पोत 15 दिसंबर 2023 को एमवी रुएन जहाज की तलाश में पहुंचा और चालक दल के साथ संचार स्थापित किया। इस दौरान 18 सदस्यीय चालक दल (एमवी जहाज पर कोई भी भारतीय सवार नहीं था) में सभी को उस इलाके में सुरक्षित बताया गया। साथ ही, इस घटना पर कार्रवाई करते हुए अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए तैनात आईएनएस कोच्चि को भी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से तुरंत रवाना कर दिया गया था।

आईएनएस कोच्चि की भूमिका
आईएनएस कोच्चि ने 16 दिसंबर 2023 को तड़के एमवी रुएन को रोकने का प्रयास किया और स्थिति का आकलन करने के लिए अपना एक महत्वपूर्ण हेलीकॉप्टर भेज दिया। चालक दल से यह सूचना मिली थी कि एमवी रूएन जहाज पर आंतरिक ढांचे की व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया गया था और समुद्री लुटेरों ने चालक दल के सभी सदस्यों को बंधक बना लिया था। वारदात के समय चालक दल के एक सदस्य को चोटें आई थीं। हालांकि अपहृत किये गए एमवी जहाज पर चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई सशस्त्र हस्तक्षेप नहीं किया गया था और समुद्री लुटेरों द्वारा चालक दल के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित कराने की दिशा में प्रयास करते हुए युद्धपोत द्वारा अपेक्षित कार्रवाई की गई। 16 दिसंबर 2023 को एक जापानी युद्धपोत भी इस जल क्षेत्र में पहुंचा और बाद में दिन के समय स्पेनिश युद्धपोत ईएसपीएनएस विक्टोरिया द्वारा भी उसे सहायता प्रदान की गई। 16 से 17 दिसंबर 2023 तक सोमालिया की ओर अपने पारगमन के दौरान भारतीय नौसेना के जहाज को अपहृत जहाज के करीब रखा गया। इस दौरान, समुद्री लुटेरों के साथ उचित रूप से कार्रवाई करते हुए और अन्य युद्धपोतों के साथ गतिविधियों का समन्वय किया गया।

अपहृत किये गए जहाज को 17 दिसंबर 2023 को सोमालिया के जल क्षेत्र में (बोसासो से दूर) ले जाया गया। भारतीय नौसेना का आईएनएस कोच्चि यह सुनिश्चित करने में सफल रहा कि चालक दल के घायल सदस्य को आगे के चिकित्सा उपचार के लिए 18 दिसंबर 2023 की अल सुबह में समुद्री लुटेरों द्वारा रिहा कर दिया गया। भारतीय नौसेना के जहाज पर अपहृत चालक दल के उस घायल सदस्य की चिकित्सकीय देखभाल की गई, लेकिन तत्काल अधिक चिकित्सा सहायता की आवश्यकता के कारण उसे 19 दिसंबर 2023 को ओमान में तट पर स्थानांतरित कर दिया गया। हालांकि यह जहाज के दायरे से काफी दूर था। भारतीय नौसेना ने उपरोक्त घटना को ध्यान में रखते हुए और अदन की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री डकैती को रोकने के प्रयासों को बढ़ाने की दिशा में इस इलाके में एक और स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत तैनात किया है। भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में ‘सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले’ के रूप में, व्यापारिक जहाज नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समुद्र में नाविकों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए वचनबद्ध है।

समुद्री डकैती के खिलाफ एकजुट हुए कई देश
मल्टी-एजेंसी मैरीटाइम सिक्योरिटी ग्रुप (एमएएमएसजी) समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार का एक बड़ा प्रयास है। केन्द्र सरकार ने समुद्री डकैतीरोधी विधेयक भी भारत की संसद में पारित किया है। इसके अलावा इंडियन ओसियन रिम एसोसिएशन, इंडियन ओसियन कमीशन, इंडियन ओसियन नेवल सिंपोजियम, कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव, कोस्ट गार्ड की मीटिंग्स, इंडियन ओसियन कांफ्रेंस में समुद्री डकैती जैसी समस्याओं से निपटने के लिए चर्चा की जाती है। इसी तरह एचएसीजीएएम 23 देशों का एक बहुपक्षीय मंच है। ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, वियतनाम और एक क्षेत्र यानी हांगकांग (चीन)। इसके अतिरिक्त दो अंतर्राष्ट्रीय संगठन। पहला एचएसीजीएएम 2004 में टोक्यो में जापान तटरक्षक बल द्वारा आयोजित किया गया था। यह एकमात्र ऐसा मंच है जहां एशियाई कोस्टगार्ड एजेंसियों के सभी प्रमुख एकत्रित होते हैं।

भारतीय तटरक्षक बल ने अक्टूबर, 2022 में एचएसीजीएएम सचिवालय के समन्वय में 18वें एचएसीजीएएम की मेजबानी किया था। 18 देशों और दो अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कुल 55 प्रतिनिधियों ने- एशिया में जहाजों के खिलाफ समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती का मुकाबला करने पर क्षेत्रीय सहयोग समझौता सूचना शेयरिंग सेंटर और यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम- ग्लोबल मैरीटाइम क्राइम प्रोग्राम (यूएनोडीसी-जीएमसीपी)- बैठक में भाग लिया था। चार दिवसीय आयोजन के दौरान, समुद्री पर्यावरण संरक्षण, समुद्री खोजबीन एवं बचाव और समुद्री कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में समुद्री प्रमुखता के मुद्दों पर कार्य स्तरीय चर्चा और उच्च स्तरीय विचार-विमर्श किया गया था। इसके अतिरिक्त एशियन कोस्ट गार्ड के प्रमुखों की इस मण्डली के प्रमुख परिणामों को शामिल करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। ल्ल

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