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ईरान वाली भूल नहीं करेगा भारत, देगा रूस का साथ, पिछली बार अमेरिका का साथ देकर हुई थी बड़ी गलती

नई दिल्ली : यूक्रेन पर रूस के आक्रमण करने के बाद से ही अमेरिका सहित पश्चिमी देश लगातार दूसरे देशों पर पुतिन के देश से तेल ना खरीदने का दबाव बना रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों का मानना है कि इससे रूस को आर्थिक चोट पहुंचाई जा सकती है। लेकिन भारत की तेल कंपनियों ने पश्चिमी देशों के बैन के बाद से पहले की तुलना में कई गुना अधिक तेल खरीदना शुरू कर दिया है। भारत इस बार ईरान वाली गलती नहीं दोहराने जा रहा है जब अमेरिका के निर्देश पर देश ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया था।

कई गुणा बढ़ा रूसी तेल का आयात भारतीय तेल कंपनियां अधिक से अधिक मात्रा में रूसी तेल खरीद रही हैं वहीं, भारत सरकार घरेलू तेल कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचाने के तरीके खोजने में जुटी है। 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद भारत ने मई महीने तक प्रतिदिन औसतन 819,000 बैरल तेल खरीदा जबकि अप्रैल में यह दर 277,000 बैरल प्रतिदिन थी। वहीं अगर ठीक एक साल पहले की बात की जाए तो मई 2021 में यह आंकड़ा 33,000 बैरल मात्र था। आश्चर्य नहीं है कि रूस, भारत में तेल का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है। रूस ने सऊदी अरब को ढकेलते हुए यह मुकाम हासिल किया है। वहीं, इस मामले में इराक टॉप पर है।

रूस से मिलने वाली छूट हुई कम भारत के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारत की योजना है कि वह रूस से कम छूट पर तेल खरीदना जारी रखेगा। हालांकि, अब तेल पर मिलने वाली यह छूट कम होती जा रही है। उन्होंने कहा, अगर भारत, रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो पूरी दुनिया में तेल की मांग बढ़ेगी और इसके साथ तेल की कीमतों में भी इजाफा होगा। सरकार और तेल रिफाइनरी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि रूस का कच्चा तेल खरीदने का भारत का मुख्य कारण व्यावसायिक है।

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