भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, इंसास की जगह लेगी रूसी AK-103 राइफल- 300 करोड़ रुपए में करार
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने आपातकालीन खरीदारी के तहत रूस से 70 हजार एके-103 राइफल खरीदने का करार किया है। यह सेना में मौजूद इंसास राइफलों की जगह लेंगी। नई एके-103 राइफलें भारत को अगले कुछ महीनों में मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि नए उन्नत हथियार मिलने से वायुसेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी और आतंकियों से निपटने में मदद मिलेगी। मिली जानकारी के मुताबिक, रूस से 70,000 एके-103 असॉल्ट राइफल खरीदने के लिए आपातकालीन प्रावधानों के तहत पिछले हफ्ते करीब 300 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इंसास राइफल को एके-47 के उन्नत वर्जन एके 103 और एके 203 से बदला जा रहा है। वायुसेना की जरूरत को पूरा करने के लिए 4,000 एसआई सॉर असॉल्ट राइफलों को खरीदने की तैयारी की जा रही है। एलएसी पर चीन से चल रहे विवाद के दौरान भारत ने अमेरिका से भी 1.44 लाख एसआईजी सॉर राइफल इमरजेंसी प्रक्योरमेंट के तहत सीधे खरीदी थीं। हालांकि एसआईजी सॉर राइफल भारतीय सेना के लिए खरीदी गई थी और इनका इस्तेमाल भारतीय सेना ने शुरू कर दिया है। पाकिस्तान से लगी एलओसी और चीन से लगी एलएसी, दोनों ही मोर्चों पर तैनात भारतीय सैनिक इन राइफल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हथियार सबसे पहले जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर जैसे संवेदनशील हवाई बेसों के साथ फील्ड एरिया में सैनिकों को मुहैया कराए जाएंगे। धीरे-धीरे उपलब्धता बढ़ने पर अन्य जगह भी यह इंसास राइफल की जगह लेंगी। उन्नत हथियारों की जरूरत भारतीय वायुसेना के अंदर लंबे समय से महसूस की जा रही है। हालांकि इस प्रक्रिया ने 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले के बाद गति पकड़ी है। वायुसेना अब अपनी तकनीकी क्षमताओं के उपयोग के साथ-साथ अपने सैनिकों की व्यक्तिगत युद्ध क्षमताओं पर भी बहुत जोर दे रही है।