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इंडियन नेवी और एनसीबी ने चलाया समुद्र में मादक पदार्थ विरोधी अभियान

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : भारत में समुद्र के रास्ते नशीले पदार्थों की तस्करी एक गंभीर चुनौती और संगठित अपराध के रूप में उभर चुकी है जो देश की तटीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर रही है। इस पर लगाम लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि विदेशी ड्रग्स गिरोह भारत में नार्कोटिक ड्रग्स के पैसे से क्राइम फंडिंग को बढ़ावा दे रहे हैं और इसलिए भारतीय नौसेना और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने समुद्र में एक समन्वित अभियान संचालित कर एक संदिग्ध नौका को पकड़ा है। इस नाव से लगभग 3300 किलोग्राम प्रतिबंधित सामग्री (3089 किलोग्राम चरस, 158 किलोग्राम मेथमफेटामाइन और 25 किलोग्राम मॉर्फिन) को बरामद किया गया है।

भारतीय नौसेना के समुद्री निगरानी विमान से प्राप्त खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई थी, जिसमें स्वापक नियंत्रण ब्यूरो ने भी अपने इनपुट के साथ इस सूचना पुष्टि की थी। विशेष अभियान को संचालित करने के लिए पहले से ही मिशन पर तैनात भारतीय नौसेना के युद्धपोत को बड़े पैमाने पर तस्करी के साथ भारतीय जल क्षेत्र में आने वाली एक संदिग्ध नौका को रोकने के लिए कार्रवाई में लगाया गया था।

भारतीय नौसेना की इकाइयों ने समुद्र में संदिग्ध नाव का सफलतापूर्वक पता लगाया, उसके बारे में जानकारी प्राप्त की और फिर उसे रोकने की कार्रवाई की।इस नौका पर तलाशी एवं कार्रवाई के परिणामस्वरूप हुई नशीले पदार्थों की जब्ती हाल के दिनों में प्रतिबंधित वस्तुओं की पकड़ी गई सबसे बड़ी मात्रा है। इसके बाद, नाव को भारतीय नौसेना के युद्धपोत द्वारा इसके चालक दल और प्रतिबंधित सामग्री को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने के लिए निकटतम भारतीय बंदरगाह तक खींच कर लाया गया।

यह कार्रवाई न केवल जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ की मात्रा एवं लागत के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि अवैध तरीके से व नशीले पदार्थों की तस्करी के मार्गों को अवरुद्ध करने के लिए भारतीय नौसेना तथा स्वापक नियंत्रण ब्यूरो के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को भी उजागर करता है। इस तरह की तस्करी मकरान तट से शुरू होती और हिंद प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों की तरफ ये नशीले पदार्थ भेजे जाते हैं।इस प्रकार से समन्वित मिशन की सफलता विशेष रूप से भारत के समुद्री पड़ोस में अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक माध्यम के रूप में समुद्र का उपयोग करने के प्रयासों को विफल करने में भारतीय नौसेना की मजबूत प्रतिबद्धता एवं संकल्प की पुष्टि करती है।

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