भारतीय रेलवे को बड़ी संख्या में कर्मचारियों की तत्काल जरूरत, बोर्ड चेयरमैन ने बताई वजह
नई दिल्लीः रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे की लगातार बढ़ती संपत्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तत्काल जरूरत है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय से बोर्ड को सुरक्षा और जरूरी श्रेणियों में गैर-राजपत्रित पद बनाने की शक्ति देने का आग्रह किया गया है। वित्त मंत्रालय में सचिव (व्यय) मनोज गोविल को लिखे पत्र में कुमार ने कहा कि रेलवे में पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह वर्ष 2019-20 में 1.48 लाख करोड़ रुपये से 2023-24 में 2.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
कुमार ने कहा, ”इस पूंजीगत व्यय के चलते संपत्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके लिए भरोसेमंद और सुरक्षित रेल संचालन के लिए पर्याप्त कार्यबल की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि रेलवे के मिशन 300 करोड़ टन (2030 तक) के लक्ष्य को देखते हुए आने वाले वर्षों में इन परिसंपत्तियों में और वृद्धि होगी। यह क्षमता इस समय 161 करोड़ टन की है। कुमार ने तर्क दिया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिक रेलगाड़ियां चलानी होंगी, जिसके लिए ट्रेन चलाने और बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए अधिक कर्मचारियों की जरूरत होगी।
कुमार ने कहा, ”वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग (डीओई) के मौजूदा निर्देश के अनुसार पदों के सृजन (रेलवे में चालक दल की समीक्षा को छोड़कर) के लिए व्यय विभाग की मंजूरी की आवश्यकता होती है।” उन्होंने पत्र में पिछले पांच वर्षों में रेलवे में बनाई गई नई परिसंपत्तियों का ब्योरा भी संलग्न किया है। इसके अनुसार ट्रैक सर्किट में 269 प्रतिशत, रेलवे विद्युतीकरण में 79 प्रतिशत और इलेक्ट्रिक तथा डीजल, दोनों इंजनों वाले लोको शेड में 227 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कवच के कवरेज में 486 प्रतिशत की वृद्धि, इंजनों में 59 प्रतिशत की वृद्धि और रेलगाड़ियों के डिब्बों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुमार ने विभिन्न परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी और निष्पादन, नई परिसंपत्तियों के रखरखाव और ट्रेनों के सुचारू और सुरक्षित संचालन जैसे विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए कहा कि रेलवे में अतिरिक्त कर्मचारियों की तत्काल आवश्यकता है।