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कोविड-19 महामारी के कारण भारत की कोर इंडस्ट्री बुरी तरीके से प्रभावित

कन्हैया पांडे

नई दिल्ली: मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जारी लाकडाउन के कारण कोर उद्योग के आउटपुट में मार्च महीने में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार मार्च महीने में कोर उद्योग के आउटपुट में रिकॉर्ड 6.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जो 2012 के बाद सबसे कम है।

भारत में आधारभूत संरचना से जुड़े कुल 8 उद्योगों को कोर उद्योग माना जाता है जिसमें कच्चा तेल, रिफाइनरी उत्पाद, प्राकृतिक गैस, इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, इलेक्ट्रिसिटी और कोयला जैसे उद्योग आते हैं।

समूहों के मध्य समृद्धि दर को पता करने के लिए केंद्रीय सांखयिकी संगठन (सीएसओ) प्रत्येक वर्ष औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आई आई पी) जारी करता हैं। इस सूचकांक में अंकित सभी उद्योगों में कोर उद्योगों का अनुपात 40 प्रतिशत से भी अधिक है। ऐसे में इन उद्योगों के उत्पादन में आई गिरावट देश के कुल आर्थिक आउटपुट को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।

मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार मार्च महीने में कच्चे तेल (-5.5%), प्राकृतिक गैस (15.2%),रिफाइनरी उत्पादों (5%),उर्वरक(11.9%), स्टील (13%),सीमेंट( 24.7%) इलेक्ट्रिसिटी (7.2%) में गिरावट दर्ज की गई । केवल कोयला ही ऐसा उद्योग रहा जिसके माग में 4% की वृद्धि देखी गई।

कोर उद्योगों के उत्पादन में गिरावट के शुरुआती रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी हैं क्योंकि आधारभूत उद्योग ही अर्थव्यवस्था कि प्राणवायु होती हैं। भारत की सर्वधिक प्रचलित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल लिमिटेड ने कोर उद्योगों के उत्पादन को देखते हुए इस बात की भविष्यवाणी की है कि आने वाले वित्तीय वर्ष में भारत को 4% जीडीपी का नुक़सान होगा।


ऐसे में सरकार को आगामी नुकसान से राहत के लिए अपनी राजकोषीय नीति को अधिक लचीली और उत्तरदाई बनाना होगा। नुकसान को कम से कम करने के लिए और घरेलू मांग को बनाए रखने के लिए सरकार को अधिक से अधिक लोक कल्याणकारी उपाय अपनाने होंगे जैसे एक निश्चित आय योजना को अपनाया जाना भी आवश्यक होगा।

अब उद्योग संघ फिक्की ने कोर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को संकट से उबारने के लिए सरकार के सामने एक नया रोडमैप पेश किया है। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर में नया निवेश फैक्ट-ट्रैक करे। लोन और ब्याज के रीपेमेंट पर मोरेटोरियम 3 महीने और बढ़ाया जाए। स्टील प्रोडक्ट के घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी जाए। स्टील सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्ज़ा दिया जाए। 6 महीने के लिए रॉयल्टी टाली जाए। कच्चे माल के आयत पर ड्यूटी ख़त्म हो। अब देखना होगा कि सरकार इन मांगों से आने वाले दिनों में कैसे निपटती है।

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