नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को संसद में भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में कई बातें कही। उन्होंने बताया कि जी20 अध्यक्षता में समावेशी और लचीला विकास सुनिश्चित करने की भारत की प्राथमिकता वैश्विक दक्षिण के देशों के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है। विदेश मंत्री ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, ‘भारत की G20 प्रेसीडेंसी प्राथमिकताएँ समावेशी और व्यावहारिक हैं, जिसमें SDG पर प्रगति, पर्यावरण के लिए हरित विकास और जीवन शैली, तकनीकी परिवर्तन और सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचा, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, और अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव शामिल है।’
आपको बता दें कि भारत इस वर्ष के अंत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले कई कार्यक्रमों और बैठकों की मेजबानी कर रहा है। देश ने नवंबर में बाली में अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रभावशाली ब्लॉक G20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘हमारा प्रयास है कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट से प्राप्त जानकारी की जी20 विचार-विमर्श सहित विश्व स्तर पर स्वीकार्यता हो।’ उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को प्रखर बनाया है। भारत ने 12-13 जनवरी, 2023 को एक विशिष्ट पहल के रूप में ‘यूनिटी ऑफ वॉइस, यूनिटी ऑफ पर्पज” विषय के तहत डिजिटल तरीके से दो दिवसीय विशेष सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें भारत सहित ‘ग्लोबल साउथ के 125 देशों ने भाग लिया।
विदेश मंत्री ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के अलावा, मिस्र, मॉरीशस, नाइजीरिया, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष और AUDA-NEPAD के अध्यक्ष को G20 बैठकों और शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। बता दें किअफ्रीकी संघ (एयू) एक प्रभावशाली समूह है, जिसमें 55 सदस्य देश शामिल हैं जो अफ्रीकी महाद्वीप के देशों को बनाते हैं। AUDA-NEPAD की स्थापना 2010 में अफ्रीका के विकास के लिए तत्कालीन नई साझेदारी (NEPAD) को अफ्रीकी संघ (AU) संरचनाओं और प्रक्रियाओं में एकीकृत करने के लिए की गई थी।