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भारत के आदिवासी संगठन को मिला यूनेस्को इंटरनेशनल लिट्रेसी प्राइज 2022

नई दिल्ली: कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंससेज को साक्षरता के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार यूनेस्को इंटरनेशनल लिट्रेसी प्राइज 2022 मिला है। इसके तहत कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज को 20 हज़ार डॉलर , एक मेडल और एक प्रशस्ति पत्र दिया गया है। 8 सितंबर , 2022 को अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट में आयोजित वैश्विक अवॉर्ड समारोह में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंससेज को यह अवॉर्ड दिया गया है।

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंससेज को यह पुरस्कार मिलने से भारत को अब तक 5 बार यह पुरस्कार मिल चुका है। और उड़ीसा के किसी संस्था को पहली बार ये पुरस्कार मिला है। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंससेज तीसरा भारतीय गैर लाभकारी संगठन और पहला आदिवासी आधारित संगठन है जिसे यह अवॉर्ड मिला है। यह भारत के लिए निश्चित रूप से एक गौरव का क्षण है।

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंससेज के संस्थापक डॉ अच्युत सामंता ने इस पुरस्कार प्राप्ति की घोषणा अपने संस्थान के कैम्पस में की। उड़ीसा के भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस स्कूल दुनिया में आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा आवासीय स्कूल है। इसकी शुरुआत 1993 में एक आवासीय आदिवासी स्कूल के रूप में हुई थी। 26 अगस्त 2017 को यह विश्व का पहला विशिष्ट आदिवासी विश्वविद्यालय बना था। इसने दो लाख बच्चों की मुफ्त पढ़ाई से लेकर उनको स्वालंबी बनाने तक की परवरिश का सपना भी संजो रखा है।

खास बात यह है कि इस संस्थान में सिर्फ आदिवासी परिवारों के बच्चों को लाया जाता है। यहां बच्चों को नर्सरी से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई, खाने, रहने, वस्त्रों और रोजगार परक तक बनाने का खर्च संस्थान स्वयं उठाता है। मौजूदा समय में किस में उड़ीसा के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के भी सुदूर क्षेत्रों के आदिवासी परिवारों के बच्चे शिक्षित किए जा रहे हैं। यह उन परिवारों के बच्चे हैं जिनके पास अपनी आजीविका के लिए भी कोई साधन नहीं है।

यहां बच्चों को मुफ्त में भोजन, अध्ययन सामग्री, वस्त्र सहित वो तमाम जरूरी साधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके। इस संस्थान के छात्रों ने 2015 में विश्व शांति के लिए सबसे लंबी मानव श्रृंखला बनाई थी । “सबसे बड़ा मानव वाक्य बनाने के साथ इसने गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया था।

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