अरुणाचल प्रदेश में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए आईटीबीपी ने मांग की है कि भारत-चीन सीमा पर 9 अतिरिक्त बटालियनों की तैनाती की जाए. ITBP ने इसके लिए गृह मंत्रालय से इजाजत मांगी है.
सूत्रों को जानकारी दी है कि अरुणाचल प्रदेश से लगती चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की तरफ से आए दिन होने वाले घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस बल यानी की आईटीबीपी ने गृह मंत्रालय से 9 अतिरिक्त बटालियनों की मांग की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इस पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा.बता दें कि भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना के साथ साथ लेह से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक आईटीबीपी के जवान तैनात हैं.
चीनी सैनिकों की ओर से अक्सर लेह से लेकर उत्तराखंड के बारोहोती और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा में जबरन प्रवेश की खबरें आती रहती हैं. अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी की एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट की दूरी कई जगहों पर 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है. ऐसे में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की जानकारी सही वक्त पर नहीं मिल पाती है. पहाड़ी और जंगली इलाके में पेट्रोलिंग करनी आसान नहीं होती है और कैंप के बीच में कई किलोमीटर का फासला होने से ये समस्या और भी जटिल हो जाती है.
यही वजह है कि इस दूरी को कम करने के लिए 9 बटालियन यानी कि करीब 9000 जवानों को लाने की मांग की जा रही है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आईटीबीपी की फाईल कई महीनों से मंत्रालय में लंबित पड़ी हुई है. इस फाइल पर रक्षा मंत्रालय की भी सहमति जरूरी है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, “अरुणांचल प्रदेश से सटे इलाके बेहद संवेदनशील है और लेह और बारोहती के मुकाबले अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी जवानों की संख्या कम है ऐसे में आईटीबीपी 9 नई बटालियनों की स्वीकृति चाहती है लेकिन अभी रक्षा मंत्रालय के जवाब का इतंजार किया जा रहा है.”
अरुणाचल प्रदेश के सामरिक महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में जब पीएम नरेंद्र मोदी यहां के दौरे पर गए थे तो चीन ने इस पर आपत्ति जताई थी और इसे विवादित क्षेत्र बताया था. भारत ने चीन की आपत्ति का कड़ाई से जवाब देते हुए कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है और इसका दौरा देश के नेता वैसे ही करते हैं जैसे किसी और इलाके का.