अन्तर्राष्ट्रीय

4 दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंची अमेरिका में महंगाई

न्यूयोर्क : अमेरिका में महंगाई जून में सलाना आधार पर 9.1 फीसदी की बढ़त के साथ 40 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। ये जानकारी अमेरिकी सरकार की ओर से जारी किये गए आंकड़ों से निकल कर आई। अमेरिकन- ब्रिटिश वित्तीय बाजार के आंकड़े उपलब्ध कराने वाली संस्था Refinitiv के मुताबिक मासिक महंगाई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह महंगा ईंधन होना है।

इस महंगाई का अमेरिका के घरेलू बाजार में असर होने के साथ- साथ भारत जैसे उभरते हुए बाजारों पर भी बड़ा असर होगा। जहां बड़ी संख्या में शेयर बाजार में अमेरिका के वित्तीय संस्थानों से निवेश आता है और अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व जल्द ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है, जिस कारण भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निवेश बाहर निकलकर दोबारा अमेरिका वापस जा सकता है।

इसका क्या होगा असर?: अमेरिका में महंगाई के ट्रेंड का आकलन करते समय फेड हमेशा मुख्य डाटा को देखता है। डाटा देख कर लग रहा है कि इस साल शुरू हुए ब्याज दर बढ़ाने के क्रम को फेड और तेज कर सकता है। क्योंकि बढ़ती हुई महंगाई ने अमेरिका के केंद्रीय बैंक पर दबाव को बढ़ा दिया है और जुलाई 26-27 को होने वाली बैठक में ब्याज दर को 75 बेसिस पॉइंट या फिर 0.75 फीसदी बढाया जा सकता है।

ब्याज दर बढ़ोतरी का भारत सहित दूसरे बाजारों पर क्या असर होगा?: अगर अमेरिका का केंद्रीय बैंक उम्मीद से अधिक ब्याज दर बढ़ाता है तो इसके मुख्य तीन प्रभाव होंगे ब्याज दर बढ़ने के अमेरिका और भारत के बीच ब्याज दर में अंतर छोटा हो जाएगा, जिस कारण से भारत जैसे दुनियाभर के देश निवेशकों के लिए करेंसी कैरी ट्रेड में कम आकर्षक रह जाएंगे।

ब्याज दर में इजाफा होने का मतलब है कि अमेरिका की अर्थवयवस्था में वृद्धि कम होगी और इसका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक अर्थवयवस्था की रफ्तार पर पड़ेगा।
अमेरिका के बाजार में अधिक ब्याज दर का मतलब है अधिक रिटर्न, जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार से बड़ी संख्या में पूंजी बाहर जा सकती है और भारतीय मुद्रा की कीमत डॉलर के मुकाबले और कमी आ सकती है, जिससे भारत के विदेशी बाजारों से आयात करना महंगा हो जायगा। इससे भारतीय ग्राहक की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

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