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अमेरिका के बदले तेवर, कहा- भारत-रूस की दोस्ती को हम नहीं तोड़ना चाहते, लेकिन पुतिन को दें संदेश

वाशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की नजरें भारत के स्टैंड पर है। आज जब रूसी विदेशी मंत्री सर्गेई लावरोव भारत के अपने समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे तो अमेरिका की नजरें जरूर टिकी रहेंगी। आपको बता दें कि हाल के दिनों में चीन सहित कई देशों के विदेश मंत्रियों ने भारत की यात्रा की है और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा की है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को कहा कि मॉस्को के साथ हर देश के अपने संबंध हैं और वाशिंगटन उसमें कोई बदलाव नहीं चाहता है। प्राइस ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “विभिन्न देशों के रूसी संघ के साथ अपने संबंध हैं। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। यह भौगोलिक तथ्य भी है। हम इसे बदलना नहीं चाहते हैं।” उन्होंने कहा, “चाहे वह भारत या दुनिया भर के अन्य भागीदार, हम अपने सहयोगियों के संदर्भ में जो कुछ भी कर सकते हैं, वह कर रहे हैँ। आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बोल रहा है।दुनिया रूस की अनुचित, अकारण पूर्व नियोजित आक्रामकता के खिलाफ जोर-शोर से बोल रहा है। भारत सहित तमात देशों को हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रयास करना होगा।” प्राइस ने ये टिप्पणी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा के दौरान की है। उनके आज विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने और बातचीत करने की उम्मीद है।

प्राइस ने आगे कहा, “जब क्वाड की बात आती है, तो क्वाड के मूल सिद्धांतों में से एक स्वतंत्र और खुले इंडो पैसिफिक का विचार है जो उस संदर्भ में इंडो पैसिफिक के लिए विशिष्ट है, लेकिन ये सिद्धांत हैं। ये आदर्श हैं जो किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को पार करें।” उन्होंने कहा, “यह हमारे हित में नहीं है। यह जापान, ऑस्ट्रेलिया या भारत के हित में नहीं है कि यूरोप में चाहे इंडो पैसिफिक में चाहे बीच में कहीं भी नियमों-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले देशों के प्रमुख उदाहरण देखें।”

अमेरिका ने दी थी धमकी
इससे पहले बाइडेन सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि भारत द्वारा रूसी तेल आयात में हो रही बढ़ोतरी नई दिल्ली को एक ‘बड़े जोखिम’ में डाल सकती है क्योंकि अमेरिका यूक्रेन पर आक्रमण के लिए मास्को के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने के लिए तैयार है। रूस के खिलाफ मौजूदा अमेरिकी प्रतिबंध अन्य देशों को रूसी तेल खरीदने से नहीं रोकते हैं, लेकिन ऐसी चेतावनियों से आशंका बढ़ती है कि अमेरिका अन्य देशों की खरीद को सामान्य स्तर तक सीमित करने की कोशिश कर सकता है। यह रिपोर्ट रॉयटर्स ने दी थी।

भारत ने कितना तेल खरीदा
भारत में रिफाइनर, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से स्पॉट टेंडर के जरिए भारत रूसी तेल की खरीद कर रहा है और छूट का लाभ उठा रहा है। भारत ने फरवरी 24 के बाद से कम से कम 13 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा है। जबकि भारत ने साल 2021 में करीब 16 मिलियन बैरल की खरीद की थी।

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