पंजाबराज्य

मालेरकोटला में दिलचस्प मुकाबला, 2 पूर्व डीजीपी की पत्नियां आमने-सामने

चंडीगढ़ : पंजाब के मालेरकोटला में करीब एक दशक बाद राज्य के दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां चुनावी दंगल में आमने-सामने आ गई हैं। कांग्रेस से पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी रजिया सुल्ताना (कैबिनेट मंत्री) चुनाव मैदान में हैं। रजिया सुल्ताना इसी सीट से तीन विस चुनाव (2002, 2007 व 2017) जीत चुकी हैं।

उनके सामने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस की प्रत्याशी फरजाना आलम को चुनाव मैदान में उतारा है। फरजाना आलम भी पूर्व डीजीपी मोहम्मद इजहार आलम की पत्नी हैं और उनके पति शालीनता के प्रतीक माने जाते रहे हैं। इससे पहले फरजाना आलम ने अकाली दल के टिकट पर 2012 विस चुनाव लड़ा था और उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर रजिया सुल्ताना ही थीं। तब फरजाना आलम ने 5200 वोट के अंतर से जीत दर्ज करके न केवल रजिया सुल्ताना का विजयी रथ रोका था, बल्कि जीत की हैट्रिक भी नहीं बनने दी थी।

सियासी फिजां में सवाल उठ रहे हैं कि क्या रजिया सुल्ताना 2012 की हार का हिसाब बराबर कर सकेंगी। कैप्टन, ढींडसा व भाजपा की संयुक्त प्रत्याशी फरजाना आलम को कांग्रेस के अलावा अकाली दल के नुसरत इकराम खान से भी दो दो हाथ करने पड़ेंगे। आम आदमी पार्टी भी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवा रही है। फरजाना आलम संसदीय सचिव के अलावा वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन रह चुकी हैं।

2017 में फरजाना ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था। गैर मुस्लिम प्रत्याशी से 179 मतों से जीत सकी थीं रजिया करीब डेढ़ लाख मतदाताओं वाले मालेरकोटला में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम भाइचारे की है और 1972 से यहां से इसी समुदाय के नेता ही चुनाव जीतते रहे हैं। 2002 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल के अजीत सिंह चंदूराइयां जीत के करीब पहुंच गए थे, लेकिन अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहीं रजिया सुल्ताना 179 मतों से जीत हासिल करने में सफल रही थीं। कैप्टन के खिलाफ खोला था मोर्चा कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना और उनके पति मोहम्मद मुस्तफा ने किन्हीं कारणों के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था और नवजोत सिंह सिद्धू का डटकर समर्थन किया था। इसी कड़ी के तहत रजिया सुल्ताना ने 28 सितंबर 2021 को मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था।

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