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अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवसः नृत्य ही मेरा जीवन और मेरी पहचान

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर देश-विदेश के नृत्य कलाकारों ने सोशल मीडिया पर प्रेषित किये सन्देश

बाराबंकी (उमेश यादव/राम सरन मौर्या): कोरोना महामारी के कारण विश्वव्यापी लॉक डाउन के चलते प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाये जाने वाला अंर्तराष्ट्रीय नृत्य दिवस इस बार उत्सव का रूप तो नहीं ले सका।लेकिन देश-विदेश के तमाम नृत्य कलाकारों ने इस लॉक डाउन में अपने घरों पर रहकर इस खास दिवस पर अपने अभिनय का प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन किया और सोशल मीडिया के माध्यम से सन्देश प्रेषित किया।

नन्हीं नृत्यांगना पर्णिका

नृत्य ही मेरी परिभाषा है। नृत्य ही मेरी अभिलाषा है। नृत्य से ही मेरा मान और सम्मान है।यह नृत्य ही मेरी पहचान है।आप सभी घरों में रहे,लॉक डाउन के नियमों का पालन करें,स्वस्थ रहे सुरक्षित रहे।अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई।

नन्हीं नृत्यांगना पर्णिका

लोक नृत्यांगना निधि श्रीवास्तव

लोकनृत्य उमंग और समूह का नृत्य है,विविध जातीय लोक नृत्य की वेशभूषा भी विविध होती है वेशभूषा के रंग बिरंगे परिधानों को देखते ही मन आंनद विभोर हो जाता है। लोकनृत्य में समूहों को दर्शाया जाता है,जिसके माध्यम से उस क्षेत्र की परंपरा, विरासत, संस्कृति आदि की झलक को नृत्यकार नृत्य और भाव भंगिमाओं से दर्शाते है।तो वही सबसे मुख्य लोकनृत्य अपनी मिट्टी से भी जोड़े रखता है।वैष्विक महामारी कोरोना से जीत हासिल करने के लिये घरों में रहे,सुरक्षित रहें।

लोक नृत्यांगना निधि श्रीवास्तव

आकांक्षा जायसवाल सिंगिंग एंड डांस टीचर

कोरोना महामारी के चलते इस समय लोगों के अंदर बहुत फ्रस्ट्रेशन है और डांस कहीं ना कहीं खुशी देता है और फ्रस्ट्रेशन कम करता है। इसीलिए डांस से सभी जुड़े रहे और अपने मन की खुशी को पहचाने। घरों में रहे सुरक्षित रहे।

आकांक्षा जायसवाल सिंगिग एंड डांस टीचर

सुश्री कात्या तोशेवा, नृत्य शिक्षिका

भारत से कोई विशेष सम्बन्ध न होते हुए भी बुल्गारिया की इंजीनियर सुश्री कात्या तोशेवा ने कुछ वर्ष पूर्व भारत आकर भरतनाट्यम, कत्थक और ओडिसी सहित समस्त प्रकार के शास्त्रीय नृत्यों की शिक्षा प्राप्त की। आज कल अपने देश बुल्गारिया में बच्चों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा प्रदान कर रही है। इस समय वहाँ भी कोरोना के कारण लॉक डाउन चल रहा है ऐसे में वह अब ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्रदान कर रही है।इनको भारत देश और यहाँ के शास्त्रीय नृत्य से बहुत लगाव एवं प्रेम है। सुश्री कात्या तोशेवा ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि,नृत्य मेरी पसंदीदा कला है! यह न केवल लयबद्ध प्रतिरूप में शरीर की गति है, अपितु हमारी भावनाओं एवं विचारों को एक तरह से व्यक्त करने का माध्यम भी है जो अन्य माध्यमों के द्वारा असंभव है। नृत्य के माध्यम से हम ना केवल अपने आस-पास के संसार का बल्कि अपने स्वयं के भीतर का अन्वेषण कर सकते हैं। नृत्य हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर सक्रिय रखता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नृत्य अच्छी तरह से संयोजित किया गया है और कुशलता से प्रदर्शित किया गया है या यह सिर्फ अंगों का स्वाभाविक हिलना डुलना  है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई दर्शक है या नहीं – हम सभी को इससे लाभान्वित होना चाहिए और इसका आनंद लेना चाहिए ।

सुश्री कात्या तोशेवा

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास

इस दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से मानी जाती है।इस विधा से जुड़े जानकार बताते है कि यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था और उसकी सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच(नृत्य)समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में इसे स्थापित किया। बताया जाता है कि एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे(1727-1810)के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

नृत्य दिवस मनाए जाने का उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता की अलख जगाना और साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता का सन्देश फैले और सरकारों द्वारा पूरे विश्व में नृत्य की शिक्षा एक उचित माध्यम से सबको उपलब्ध कराना था। सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर कई निबंध व चित्र भी बनाए गए। 2007 में नृत्य को बच्चों को समर्पित किया गया।आज पूरे विश्व पटल पर नृत्य कला की तरफ लोगों का लोगों का तेजी से रुझान बढ़ा है,कुछ लोग इसे शौकिया अपना रहे है। वहीं तमाम लोगों के लिये यह फैशन और उनकी जीविका का साधन भी बन रहा है।

 

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