नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के मुखर्जी नगर पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है। दिल्ली में बैठकर कॉल सेंटर सेटअप से सीधे अमेरिकी नागरिकों को ठगा जा रहा था। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान दिल्ली के हकीकत नगर निवासी सौरव पाहवा, यूपी के बुलंदशहर निवासी अरुण कुमार, जहांगीरपुरी निवासी नीरज मेहरा और हैदराबाद निवासी विष्णु वर्धन के रूप में हुई है।
पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से चार लैपटॉप, छह मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। ये सभी आरोपित फेक कॉल सेंटर के जरिए माइक्रोसॉफ्ट तकनीकी सहायता से लोगों से रिमोट स्क्रीन शेयर कर लेते थे। फिर उनकी पर्सनल डिटेल, डेटा, अकाउंट, पिन नंबर पार कर देते थे। पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर इस नेटवर्क से जुड़े बाकी लोगों का पता लगा रही है।
डीसीपी उषा रंगनानी ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को हडसन लेन में चल रहे एक अवैध इंटरनेशनल कॉल सेंटर का पता चला। इस संबंध में एसएचओ किशोर कुमार, एसआई प्रेम प्रकाश, एएसआई महेंद्र, कॉन्स्टेबल सूरज, रामचंदर ने गोपनीय तरीके से पहले जानकारी इकठ्ठा की। यह हडसन लेन के दूसरी मंजिल पर एक घर के परिसर में चलाया जा रहा था।
टीम ने फर्जी कॉल सेंटर पर रेड करके चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। मौके से गैजेट्स व अन्य सामान जब्त किया। सभी आरोपितों से पूछताछ करने पर खुलासा हुआ कि उन्होंने हाल ही में कॉल सेंटर खोला है। माइक्रोसॉफ्ट तकनीकी सहायता टीम के तौर पर मुख्य तौर पर अमेरिकी नागरिकों को ठगते थे। जांच से पता चला कि यह रैकेट यूएसए से तमाम आईपी एड्रेस की जानकारी एकत्र करता था। इसके बाद वे अपने सिस्टम पर कुछ संदेश या पॉप-अप भेजते थे। बाद में वह शख्स इन्हें वेब कॉलिंग करके कॉल करते थे। खुद को माइक्रोसॉफ्ट टेक्नीकल सपोर्ट टीम के तौर पर खुद को बताते। स्क्रीन शेयर करके उनकी निजी जानकारी, डेटा ले लेते थे। नकली पॉप अप या संदेश को हटाने के लिए 100 अमेरिकी डॉलर की डिमांड करते थे।
इसी बहाने वे अमेरिकी नागरिकों को ठग रहे थे। आरोपी सौरव पाहवा मुख्य मालिक है। जिसने अन्य तीन आरोपितों को टेलीकॉलर के रूप में काम पर रखा था। हडसन लेन में यह परिसर को 40 हजार रुपए महीने किराए पर लिया था। पुलिस टीम इनके खातों को खंगला रही है। जिनमें ठगी के पैसे ट्रांसफर किए जाते थे।