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उत्तराखंड के लिए इन्वेस्टर समिट बनेगा ‘संजीवनी’

गौरव ममगाईं, देहरादून

उत्तराखंड में 8 व 9 दिसंबर को दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन होगा। इसमें देश-विदेश के पूंजीपति उत्तराखंड में दो लाख करोड़ रुपये के निवेश पर आधिकारिक हस्ताक्षर करेंगे। यह अब तक का रिकॉर्ड निवेश होगा। इस निवेश को उत्तराखंड के लिए संजीवनी क्यों माना जा रहा है? आखिर इस निवेश से उत्तराखंड की सूरत कैसे बदलेगी? आइये जानते हैं इन सब कारणों के बारे में, लेकिन इससे पहले हमें निवेश का अर्थ समझना होगा। किसी भी क्षेत्र के विकास में निवेश की निर्णायक भूमिका होती है। निवेश के माध्यम से आने वाला पैसा क्षेत्र/राज्य अथवा देश के विकास को गति देता है, जिससे संरचनात्मक कार्य, सेवा एवं सुविधाओं का विकास व विस्तार संभव हो पाता है। निजी निवेश की मदद से सरकार भी अनेक सामाजिक परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम होती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी निवेश के महत्व को भली-भांति समझते हैं, तभी तो लंदन, यूएई व अबूधाबी में रोड शो कर हजारों करोड़ का विदेशी निवेश उत्तराखंड में ला सके हैं। चेन्नई, मुंबई व दिल्ली में भी रोड शो कर देश के बड़े उद्योगपतियों को उत्तराखंड में निवेश का आमंत्रण दिया। पिछले दिनों देहरादून व हरिद्वार के पूंजीपतियों ने 37 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर किये। इस तरह पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में पहली बार दो लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने जा रहे हैं, जो यहां के विकास को न सिर्फ गति देगा, बल्कि अनेक समस्याओं के समाधान के साथ जीवन स्तर को भी सुधारने में भी मदद करेगा।

वैसे 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आये उत्तराखंड राज्य में विकास को शुरू करना बड़ी चुनौती से कम नहीं था। वर्ष 2001 में केन्द्र सरकार ने राज्य को आर्थिक प्रोत्साहन के रूप में विशेष राज्य का दर्जा दिया, जिसकी मदद से राज्य समृद्ध आकार लेना शुरू किया। इसके बाद 2002 में सिडकुल की स्थापना शुरू हुई और औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने लगी। फिर उद्योगों को आकर्षित करने के लिए अनेक औद्योगिक प्रोत्साहन योजनाएं बनाई गई। नतीजा, यह रहा कि आज उत्तराखंड ने रिकॉर्ड 7.09 विकास दर हासिल करने के बाद भी जीडीपी को दोगुना करने का बड़ा लक्ष्य तय किया है। यह उत्तराखंड के सामथ्र्य एवं क्षमता को दर्शाता है। अब इन्वेस्टर समिट में रिकॉर्ड निवेश के हस्ताक्षर होने जा रहे हैं, यह बड़ी उपलब्धि जरूर है, लेकिन इसे सफल मानना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि निवेश लाने के बाद सरकार के सामने निवेश का लाभ आमजन तक पहुंचाने की असल चुनौती रहेगी, यही धामी सरकार की असल परीक्षा भी होगी।

राज्य गठन के बाद से अब तक निवेश प्रोत्साहन हेतु किये गए प्रयास
राज्य औद्योगिक विकास निगम लि. 2002 (वर्तमान में सिडकुल के आस्थानों की कुल संख्या 7 हो गई है)
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना- 2002
राज्य की एमएसएमई नीति- जनवरी 2015
महिला उद्यमी विशेष प्रोत्साहन योजना
5 वर्षीय औद्योगिक विकास योजना- अप्रैल 2017
राज्य की स्टार्ट-अप नीति- फरवरी 2018

राज्य की विकराल समस्या पलायन पर होगा नियंत्रण
उत्तराखंड का 53.5 हजार वर्ग किमी. के कुल क्षेत्रफल में लगभग 86 प्रतिशत भाग पर्वतीय है। यहां औद्योगिक विकास बेहद मुश्किल है। साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण संसाधन जुटाने में भी समस्या आती है, जिस कारण लोग मैदानी क्षेत्रों की ओर से पलायन करते हैं। इस निवेश के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में भी सुविधा एवं सेवाओं का विकास एवं विस्तार हो सकेगा। यहां लघु एवं मध्यम उद्योग खोले जा सकेंगे, जिससे स्थानीय लोगों के उत्पादों की बाजार में खपत हो सकेगी। संचार, सड़क एवं परिवहन सुविधाओं में भी सुधार होगा। इससे लोग पलायन नहीं करेंगे। बता दें कि उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के पर्वतीय जिलों में एक हजार से ज्यादा गांव खाली हो चुके हैं, जिन्हें ‘घोस्ट विलेज’ घोषित किया है। इनमें सबसे ज्यादा पलायन क्रमश: पौड़ी व अल्मोड़ा में हुआ है। हालांकि, केन्द्र सरकार द्वारा भी सीमावर्ती गांवों में पलायन रोकने के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना चला रही है।

अब कोई युवा बेरोजगार नहीं रहेगा : सीएम

24 नवंबर को हरिद्वार में एक कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने से यहां चौतरफा विकास एवं औद्योगिक गतिविधियां होंगी। लघु एवं मध्यम उद्योगों का अधिक संख्या में विकास होगा, जिससे लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सीएम ने कहा कि आने वाले एक-दो साल में प्रदेश में कोई युवा बेरोजगार नहीं रहेगा। हर किसी के पास रोजगार होगा। हर युवा एवं परिवार राज्य की आर्थिकी में योगदान देगा। बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी बीते महीनों एक विशेष कानून लेकर आये हैं, जिसमें निजी संस्थानों में ग्रुप सी के पदों पर स्थानीय लोगों को नौकरी देना अनिवार्य किया गया है।

जीडीपी दोगुनी करने में निवेश की निर्णायक होगी भूमिका
सीएम पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, यह रिकॉर्ड निवेश राज्य में आने से संरचनात्मक विकास कार्य के साथ सेवा एवं सुविधाओं का विकास एवं विस्तार होगा, जिससे राज्य की जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। बता दें कि सीएम धामी ने अगले 5 वर्षों में राज्य की जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। वर्ष 2022-23 में राज्य की जीडीपी 3 लाख 2 हजार करोड़ रुपये की थी, जिसका विकास दर रिकॉर्ड 7.09 प्रतिशत रही। जबकि, वर्ष 2021-22 में विकास दर 7.04 प्रतिशत रही थी।

स्वास्थ्य-शिक्षा में होगा बड़ा सुधार
उत्तराखंड में 86 प्रतिशत भाग पर्वतीय है। भौगोलिक विषमता के कारण यहां स्वास्थ्य एवं शिक्षा का अपेक्षित विकास नहीं सका है। बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा न मिलने के कारण लोगों को कई किलोमीटर दूर मैदानी क्षेत्रों का रुख करना पड़ता है। सेवा एवं गुणवत्ता का अभाव होने के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन स्तर मैदानी क्षेत्रों के लोगों की तुलना में कम माना जाता है। जानकार कहते है कि इन्वेस्टर समिट में आने वाले निवेश से पर्वतीय जिलों में भी स्वास्थ्य एवं शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

पर्यटन से बढ़ेगी आर्थिकी
उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। बात आध्यात्मिक पर्यटन की हो या फिर साहसिक खेल, प्रकृति दर्शन व वन-सैर की, राज्य को देश के शीर्ष पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता रहा है। निवेशक यहां पर्यटन में अधिक निवेश करेंगे, जिससे क्षेत्र में सरंचनात्मक विकास होगा और सुविधाओं का विस्तार होगा। क्षेत्र को विशेष पहचान मिल सकेगी।

फिल्म जगत भी होगा आकर्षित
प्रदेश में चहुंमुखी विकास होने से कई नई डेस्टिनेशन विकसित होंगी, जिससे फिल्म इंडस्ट्री उत्तराखंड में फिल्म शूटिंग के लिए प्रेरित होंगी। पहले भी यहां शाहिद कपूर की बत्ती गुल, मीटर चालू, जोर लगाके आइशा, स्टूडेंट आफ द ईयर-2 जैसी कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी हैं। नई डेस्टिनेशन विकसित होने के बाद बॉलीवुड के कई बड़े डायरेक्टर भी उत्तराखंड का रुख कर सकते हैं।

प्रदेश की जीडीपी में 49 प्रतिशत योगदान सिर्फ 4 जिलों का
राज्य में पर्वतीय जिलों में औद्योगिक क्रियाएं बेहद कम होती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जीडीपी में करीब 49 प्रतिशत योगदान सिर्फ 4 जिलों का है। इन सभी चार जिलों में सर्वाधिक मैदानी भाग है। इनमें क्रमश: हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल हैं। शेष टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ जैसे पर्वतीय जिलों का जीडीपी में योगदान बहुत कम है।

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