अन्तर्राष्ट्रीय

ईरान ने जब्त किए ग्रीस टैंकर, परमाणु समझौते को लेकर बढ़ा तनाव

नई दिल्ली: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ अमेरिका ईरान पर 2015 में हुए परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए दबाव बना रहा है तो ईरान ने भी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को विदेशी आतंकवाद की सूची से बाहर करने की शर्त रख दी है। इन सबके बीच इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने शुक्रवार को ग्रीस के तेल टैंकरों को जब्त कर तनाव को और बढ़ा दिया है।

ईरानी सेना की ओर से यह कार्रवाई, भूमध्य सागर में अमेरिका द्वारा ग्रीस की सहायता से ईरानी टैंकरों को जब्त करने की कार्रवाई के बाद की गई है। इसके बाद अमेरिका ने आरोप लगाया कि ईरान उस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है। उधर, IRGC को लेकर ईरान अपनी शर्त से पीछे हटने को तैयार नहीं है।

IRGC को आंतकवादी संगठन मानता है अमेरिका
अमेरिका ईरानी सेना इस्लमिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को आतंकवादी संगठन मानता है और इसे विदेशी आतंकवाद की सूची में शामिल किया हुआ है। इससे ईरान को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अब ईरान ने अमेरिका के सामने बड़ी शर्त रख दी है। ईरान की मांग है कि IRGC को विदेशी आंतकवाद की सूची से बाहर किया जाए।

2015 में हुआ था समझौता
2015 में ईरान और छह अन्य देशों के बीच परमाणु समझौता हुआ था। उसका मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था। दूसरी तरफ से जिन देशों ने समझौते पर दस्तखत किए, उनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश और जर्मनी थे। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। इस समझौते को तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता माना गया था।

ट्रंप ने लगाया था प्रतिबंध
2017 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश को इस समझौते से अलग कर लिया था। ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए। ट्रंप ने ईरानी सेना इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड को आंतकवादी संगठन घोषित कर दिया था। इससे ईरान को कई तरह के प्रतिबंधों को सामना करना पड़ा। इसके बाद ईरान भी चुप नहीं बैठा। आरोप है कि उसके बाद से ईरान ने भी समझौते का उल्लंघन शुरू कर यूरेनियम का संवर्धन कर शुरू कर दिया।

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