ISIS के खिलाफ इराक की आखिरी जंग, आतंकियों के सामने सिर्फ दो विकल्प- सरेंडर या मौत
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सेना ने मूसल पर कब्जा करने के बाद जुलाई में कथित इस्लामिक स्टेट के गढ़ तल अफार को अपने निशाने पर लिया था। मूसल से 55 किलोमीटर पूरब में स्थित शिया बहुल ये शहर साल 2014 में कथित इस्लामिक स्टेट के हाथों में गया था।
भौगोलिक रूप से तल अफार सीरियाई सीमा और मूसल के बीचों-बीच स्थित है। और, जेहादी संगठन कभी इस रास्ते को सप्लाई रूट के रूप में इस्तेमाल करते थे। गठबंधन सेना का अनुमान है कि तल अफार में करीब 50,000 से 1,00,000 नागरिक रहते हैं। इराकी युद्धक विमानों ने जमीनी मुहिम की तैयारी के लिए इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर बमबारी की है।
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‘युद्ध निश्चित है और जीत क़रीब’
इराकी प्रधानमंत्री अबादी के भाषण के घंटों पहले इराकी वायुसेना ने शहर पर हमले के लिए तैयार होने से जुड़े पर्चे फेंके। इन पर्चों में लिखा था कि युद्ध निश्चित है और जीत होने वाली है। तल अफार अपने दक्षिण में इराकी फौज और शिया उग्रवादियों से और उत्तर में कुर्दिश पेशमर्गा लड़ाकों से घिरा हुआ है।
बीते महीने तल अफार के पूर्व मेयर और सीनियर इराकी कमांडर ने कहा था कि शहर में करीब 1500 से 2000 उग्रवादी और उनके परिवार बचे हैं। मेजर जनरल नज्म अल जबौरी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि जेहादियों का हौसला टूट चुका है और तल अफार में मूसल की तरह 9 महीनों तक चलने वाली जंग नहीं होगी। उन्होंने ये भी बताया कि तल अफार में मूसल जैसी संकरी गलियों जैसा सिर्फ एक रास्ता है और यहां रहने वाले आम लोगों की संख्या बेहद कम है।