दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) भारत के संवेदनशील सरकारी आंकड़ों को चुराने के लिए अब देश के हैकर्स को ही रिझा रहा है। आईएस ने एक काम पूरा करने के लिए एक हैकर को लगभग 7 लाख रुपए (10,000 डॉलर) देने की पेशकश की है। विशेषज्ञों का कहना है कि हैकर्स को मिला यह अब तक का यह सबसे बड़ा ऑफर है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स से यह कहा गया है कि वे फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों से ऐसे लोगों की पहचान करें और उनका डाटाबेस तैयार करें जो आतंकी संगठन के संभावित सदस्य बन सकते हैं। हैकर्स को अन्य आकर्षक ऑफर भी कई सुरक्षा एजेंसियों के साथ काम करने वाले साइबर क्राइम एक्सपर्ट किसलय चौधरी ने बताया कि ऐसे कई ऑनलाइन ग्रुप हैं जो अंडरग्राउंड हैं और हैकर्स लगातार उनसे संपर्क करते हैं। जांच में हमने पाया है कि पिछले 6 महीने में सरकारी डाटा चुराने की पेशकश वाले आकर्षक ऑफरों की संख्या तेजी से बढ़ी है और इसके लिए हैकर्स को बड़ी राशि की पेशकश भी की गई है। इसके अलावा हैकर्स को अन्य आकर्षक ऑफर भी दिए जा रहे है
विशेषज्ञों का मानना है कि कई हैकर्स ने पहले ही इस ऑफर को झटक लिया है। यह भी कहा जा रहा है कि आतंकी संगठन ने भारत में करीब 30,000 लोगों से संपर्क किया है। किसलय के मुताबिक इस तरह की पेशकश पहले कभी नहीं की गई है। खतरनाक आतंकी संगठन आईएस के देश भर में आतंक के मॉड्यूल के हुए भंडाफोड़ के तहत केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने दो लोगों को और हिरासत में लिया है। इन्हें जल्द ही एनआईए को सौंप दिया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, संगठन के खिलाफ अपने ऑपरेशन को जारी रखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने एक शख्स को हैदराबाद और एक अन्य को महाराष्ट्र से पकड़ा है।
सूत्रों के अनुसार, इन्हें एनआईए के हवाले किए जाने की संभावना है। इन दोनों के नामों का अभी खुलासा नहीं किया गया है, क्योंकि खुफिया एजेंसियों का एक संयुक्त दल उनसे पूछताछ कर रहा है। एनआईए द्वारा अब तक जुनूद-उल-खलीफा-ए-हिंद जोकि आईएस का भारतीय विंग है, से संबंधित 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन्हें महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमले की कथित योजना बनाने के चलते देश भर के अलग-अलग इलाकों से पकड़ा गया है। जांच एजेंसी का दावा है कि आरोपी सीरिया में आईएस के सक्रिय सदस्यों से स्काइप के जरिए चैटिंग करते हुए लगातार संपर्क में थे। इसके साथ ही वे युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल होने को प्रेरित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल भी कर रहे थे।