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इसरो ने किया PSLV-C59/Proba-3 मिशन का ऐलान, 4 दिसंबर को होगा प्रक्षेपण

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने नए मिशन PSLV-C59/Proba-3 के प्रक्षेपण की तारीख की घोषणा की है। यह प्रक्षेपण 4 दिसंबर 2024 (बुधवार) को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4:06 बजे होगा। इस मिशन में PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान)-C59 का उपयोग किया जाएगा, जो लगभग 550 किलोग्राम वजन के उपग्रहों को अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में भेजेगा। इस मिशन के तहत दो उपग्रहों कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC) को एक साथ लॉन्च किया जाएगा। इन दोनों उपग्रहों को एक साथ स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन (एक के ऊपर एक) में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से तैयार किया गया है।

मिशन का उद्देश्य
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सटीक संरचना उड़ान का प्रदर्शन करना है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उपग्रह सटीक कक्षा में पहुंचकर अपना कार्य ठीक से कर सकें। Proba 3 मिशन एक “इन-ऑर्बिट डेमोस्ट्रेशन (IOD)” मिशन है, जिसका उद्देश्य सूर्य के वायुमंडल की बाहरी और सबसे गर्म परत का अध्ययन करना है, जिसे सौर कोरोना कहते हैं। यह मिशन सौर गतिविधियों का विस्तृत अध्ययन करेगा, जो भविष्य में सौर लहरी गतिविधियों और उनकी पृथ्वी पर प्रभाव को समझने में मदद करेगा।

PSLV की विशेषताएँ
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) इसरो का सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान है, जिसे 1994 में पहली बार लॉन्च किया गया था। यह यान उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में भेजने में सक्षम है और यह इसरो का पहला लिक्विड स्टेज से लैस प्रक्षेपण यान है। PSLV-C59 का वजन लगभग 320 टन है और इसमें चार चरण होते हैं। इस यान के द्वारा 550 किलोग्राम वजन के उपग्रह को अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

मिशन की सफलता और सहयोग
इस मिशन के द्वारा PSLV की विश्वसनीयता और सटीकता का प्रदर्शन होगा। इसके अलावा यह न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इसरो और ईएसए के मजबूत सहयोग का भी उदाहरण बनेगा। पिछले मिशन PSLV-C58 ने एक्सपोसैट उपग्रह को 1 जनवरी 2024 को सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किया था।

Proba 3 विश्व का पहला सटीक निर्माण उड़ान मिशन
Proba 3 को “एक्सरे पोलरिमीटर सैटेलाइट” भी कहा जाता है और यह भारत का पहला वैज्ञानिक उपग्रह है, जो आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करेगा। यह मिशन सौर कोरोना का अध्ययन करेगा, जो सूर्य के बाहरी वायुमंडल की सबसे गर्म परत है। इस उपग्रह से मिलने वाली जानकारी सूर्य के बारे में नई खोजों का मार्ग खोलेगी और सौर ऊर्जा की गतिविधियों को समझने में मदद करेगी।

मिशन का महत्व
इस मिशन को सटीक कक्षीय डिलीवरी के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो PSLV की विश्वसनीयता को और बढ़ाएगा। यह प्रक्षेपण अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उदाहरण है, जिसमें इसरो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का संयुक्त प्रयास शामिल है।

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