इसरो आज करेगा एसएसएलवी रॉकेट लॉन्च, आपदाओं के बारे में मिलेगा अलर्ट:
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2024/08/66be35eee837f-sslv-d3-rocket-isro-eos-8-isro-launch-150757465-16x9-1.jpg)
देहरादून ( दस्तक ब्यूरो) : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश दुनिया का आवाहन करते हुए कहा कि विश्व गंभीर प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है और सभी को मिलकर इससे निपटने की जरूरत है। भारत इस दिशा में अपनी लीडरशिप की भूमिका निभाना शुरू कर चुका है और प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आपदाओं की जानकारी के लिए समर्पित एसएसएलवी रॉकेट इसरो के द्वारा आज लॉन्च किया जाएगा। सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया जा रहा है। SSLV डी3 का मतलब है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और D3 का मतलब है तीसरी डिमॉनस्ट्रेशन फ्लाइट।
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2024/08/GU3FUrobEAANrHg.jpg)
इस रॉकेट का इस्तेमाल मिनी, माइक्रो और नैनो सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए किया जाएगा। यह लॉन्चिंग सफल होती है तो इसरो इसे देश का तीसरा सबसे शानदार रॉकेट घोषित कर देगा। SSLV रॉकेट की लंबाई 34 मीटर है। इसका व्यास 2 मीटर है जबकि SSLV का वजन 120 टन है। एसएसएलवी 10 से 500 किलो के पेलोड्स को 500 km तक पहुंचा सकता है और सिर्फ 72 घंटे में तैयार हो जाता है। इस रॉकेट से देश का नया अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-8 लॉन्च किया जा रहा है।
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2024/08/eos-8-final-image-662x1024.jpg)
अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट यानी EOS-8 पर्यावरण की मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और तकनीकी डेमॉन्स्ट्रेशन का काम करेगा। इसके अलावा एक छोटा सैटेलाइट SR-0 DEMOSAT भी पैसेंजर सैटेलाइट की तरह छोड़ा जा रहा है। ये दोनों ही सैटेलाइट्स धरती से 475 किलोमीटर की ऊंचाई के गोलाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएंगे।
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2024/08/66be35eee837f-sslv-d3-rocket-isro-eos-8-isro-launch-150757465-16x9-2-1024x576.jpg)
इस रॉकेट से धरती की निचली कक्षा में 500kg तक के सैटेलाइट्स को 500km से नीचे या फिर 300kg के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेज सकते हैं। इस ऑर्बिट की ऊंचाई 500km के ऊपर होती है। इस लॉन्चिंग में यह 475 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा, वहां जाकर यह सैटेलाइट को छोड़ देगा।
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2024/08/PTI08-15-2024-000461B-0_1723731880876-1-794x1024.jpg)
इससे मिली तस्वीरों से आपदाओं की जानकारी मिलेगी, जैसे जंगल में आग, ज्वालामुखीय गतिविधियां। वहीं GNSS-R के जरिए समुद्री सतह पर हवा का विश्लेषण किया जाएगा। मिट्टी की नमी और बाढ़ का पता किया जाएगा। डोजीमीटर से अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की जांच की जाएगी जिससे गगनयान मिशन में भी मदद मिलेगी।