टॉप न्यूज़राज्यराष्ट्रीय

महिला वैज्ञानिक के हाथ में ISRO के सूर्य मिशन की कमान, कौन हैं निगार शाजी जिनकी दुनियाभर में चर्चा

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद अब सूर्य की ओर भी अपने मिशन को रवाना कर दिया है। दुनिया के सामने बहुत कम समय के अंतराल में भी भारत ने अपने अंतरिक्ष विज्ञान की दो बड़ी मिसालें पेश कर दीं। आपको बता दें कि सूर्य मिशन का नेतृत्व करने वाली भारत की महिला वैज्ञानिक निगार शाजी हैं। 59 साल की शाजी ने कहा, यह एक सपने के साकार होने की तरह है। हमें पूरा विश्वास है कि पीएसएलवी हमारे आदित्य-एल-1 को सही जगह पर स्थापित करने में कामयाब होगा। इसके बाद ना केवल भारत बल्कि दुनिया को यह मिशन बहुत कुछ देने वाला है।

किसान परिवार से संबंध रखती हैं शाजी
निगार शाजी तमिलनाडु के तेनकासी जिले की रहने वाली हैं और एक किसान परिवार से आती हैं। उन्होंने तिरुनेवेली गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्युनिकेशन में इंजीनयरिंग की और इसके बाद बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी रांची से मास्टर्स पूरा किया। इसके बाद ही 1987 में वह सतीशधवन स्पेस सेंटर से जुड़ गईं। बाद में वह यूआर राव सैटलाइट टीम मे शामिल हो गईं। शाजी एक कम्युनिकेशन और अंतरग्रहीय उपग्रह कार्यक्रमों के लिए एक्सपर्ट के तौर पर काम करती हैं। सूर्य मिशन की वह प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। इसके अलावा वह भारत के रिमोट सेंसिंग सैटलाइट रिसोर्ससैट- 2A की भी असोसिएटट प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं। शाजी के साथ एक और महिला वैज्ञानिक का इस मिशन में बड़ा योगदान है। उनका नाम है अन्नापूर्णी सुब्रमण्यम। वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स की डायरेक्टर हैं। इसी इंस्टिट्यूट ने आदित्य एल-1 मिशन का प्रमुख पेलोड डिजाइन किया है जिससे की सूर्य का अध्ययन किया जाएगा।

सुब्रमण्यम केरल के पलक्कड़ जिले के एक गांव की रहने वाली हैं। उनका परिवार संगीत से संबंध रखता है। हालांकि उन्होंने आईआईए से फिजिक्स में पीएचडी की। आदित्यन एल-1 मिशन में लगे VELC का डिजाइन उनके ही नेतृत्व में तैयार किया गया है। यह एक कोरोनोग्राफ है जो कि सूर्य ग्रहण के दौरान भी सूर्य को देखता रहेगा। इस मिशन के जरिए पहली बार संभव होगा कि हम सूर्य के अंदर झांककर देख पाएंगे। बता दें कि शनिवार को इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 को लॉन्च कर दिया है। इसके साथ सात पेलोड हैं। यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर लैगेंर्जियन बिंदु एल-1 पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह एक ऐसा बिंदु है जहां कोई भी वस्तु रुक जाएगी। यह भारत का सूर्य के अध्ययन का पहला बड़ा प्रयास है।

Related Articles

Back to top button