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गुजरात में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों की आईटी सेल व्यस्त

अहमदाबाद । जैसे-जैसे गुजरात विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, हर पार्टी की सोशल मीडिया टीमें चुनावी अभियान को तेज करने में जुट गई है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह प्लेटफॉर्म मतदाताओं की धारणा और मानसिकता को बदलने में मदद कर सकता है।

सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स के साथ-साथ पार्टी आईटी और सोशल मीडिया सेल ने अनुभव किया है कि नेगेटिव मैसेज जंगल की आग की तरह फैलते हैं। कुछ ही मिनटों में हजारों और लाखों सोशल मीडिया यूजर्स तक पहुंच जाते हैं, लेकिन पॉजिटिव मैसेज का वायरल होना पानी की बूंदों की तरह होता है। उनकी यूजर्स तक पहुंचने की रफ्तार बेहद धीमी होती है, लेकिन प्रभाव नेगेटिव मैसेज से कहीं अधिक है।

भारतीय जनता पार्टी 2012 से ऐसे ही प्लेट्फार्म की तलाश कर रही है। पार्टी ज्यादातर इसका इस्तेमाल अपनी राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों के बारे में पॉजिटिव मैसेज भेजने के लिए करती है। भाजपा सोशल मीडिया के संयोजक मनन दानी ने दावा किया कि पार्टी के कई अभियान अंतिम चरण तक पहुंच गए हैं। दानी ने ‘उंचो विकास, ऊंचु गुजरात’ (उच्च विकास, गुजरात को नया शिखर हासिल करने के लिए) या ‘गुजरात चे मक्कम, भजप चे आदिखम’ जैसे भाजपा के सोशल मीडिया अभियानों का उदाहरण दिया।

अगर कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी झूठे दावे कर रहा है, तो भाजपा की सोशल मीडिया टीम उन तथ्यों की जांच करती है और उसके सच से जनता को अवगत कराती है। इससे पार्टी की छवि अच्छी बनी रहे। गुजरात कांग्रेस आईटी सेल के अध्यक्ष केयूर शाह ने बताया कि सोशल मीडिया टीम का मुख्य फोकस कुछ बातों पर रहता है, जैसे पार्टी का मैसेज कितना प्रभावी ढंग से पहुंचा है और यह लक्षित दर्शकों तक पहुंच रहा है या नहीं और अपील बना रहा है या नहीं।

2017 के विधानसभा चुनाव में ‘विकास गंडो थायो छे’ (विकास पागल हो गया है) इतना चलन में था कि भाजपा को इसका मुकाबला करने के लिए ‘हू विकास छू’ (मैं विकास हूं) अभियान शुरू करना पड़ा। आप का सोशल मीडिया कैंपेन ‘वन चांस टू केजरीवाल’ है। जबकि इसकी सोशल मीडिया टीम सत्ताधारी पार्टी के दावों को बेनकाब करने में ज्यादा सक्रिय है।

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