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‘अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना काफी मुश्किल’, बोले चीन के राष्ट्रपति, शी जिनपिंग की टूट रही अकड़?

चीन: कोविड संकट शुरू होने के पहले साल तो चीन की अर्थव्यवस्था काफी तेज रफ्तार से विकास के रास्ते पर दौड़ती रही, लेकिन कोविड महामारी के दूसरे साल चीन की अर्थव्यवस्था विकास की उसी पटरी पर हांफने लगी और तीसरे साल आते आते चीन की अर्थव्यवस्था बैठ गई है। चीन की स्थिति अब इन हालातों में हैं, कि खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग को काफी कम उम्मीद है, कि देश की अर्थव्यवस्था का पुनर्जीवित हो पाएगा या नहीं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताजा बयान में कहा है, कि चीन की अर्थव्यवस्था का पुनर्जीवित करना जटिल हो गया है।

अर्थव्यवस्था से मायूस हुए शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने निवेश को आकर्षित करने के लिए बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा को लेकर कहा है, कि चीन की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के प्रयास “जटिल” हो गए हैं। जिसको लेकर शी जिनपिंग ने चीन की प्रांतीय सरकारों से प्रॉपर्टी सेक्टर में आर्थिक और वित्तीय जोखिमों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है। चीन की आधिकारिक मीडिया में “देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति” विषय पर प्रकाशित एक लेख में, शी जिनपिंग ने कहा है, कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने और उसका उपयोग करने के लिए और और ज्यादा प्रयास किए जाने चाहिए। आपको बता दें, कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो पिछले साल 50 सालों में सबसे कम विकास दर से गुजर रहा है और चीन की अर्थव्यवस्था कोविड संकट के बीच 3 प्रतिशत तक सिकुड़ चुकी है। जिसने कम्युनिस्ट शासन को बेचैन कर दिया है।

चीन पर नकेल कस रहा है अमेरिका
आपको बता दें, कि चीन भले ही आक्रामकता दिखा रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने जो नकेल कसा है, उसका चीन पर काफी गंभीर असर होता दिख रहा है। और शी जिनपिंग की खामोशी से इसे समझा भी जा सकता है। शी जिनपिंग ने अपने लेख में लिखा है, कि साल 2023 में आर्थिक कार्य जटिल हैं, और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने देश के अधिकारियों से देश की प्रमुख समस्याओं पर और जनता की उम्मीदों में सुधार और विकास में विश्वास बढ़ाने के लिए कहा है। चीनी राष्ट्रपती शी जिनपिंग का ये लेख मूल रूप से चीनी भाषा में है, जो एक आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। वहीं, शी जिनपिंग, जो कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव भी हैं, उन्होंने इस लेख में चीन में निवेश को आकर्षित करने के लिए अतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अत्यधिक तीव्र होने की बात स्वीकार की है।

‘बंद हो रहा दुनिया का कारखाना’
चीन, जिसे पिछले कई दशकों से दुनिया का कारखाना माना जाता है, उसे अब पता चलने लगा है, कि उसकी दादागीरी ज्यादा समय तक नहीं चलन वाली है और झगड़ा कर उसका विश्वशक्ति बनना और बने रहना काफी मुश्किल है। कोविड के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान होने के पीछे की कई वजहों में एक बड़ी वजह अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का चीन से बाहर आना भी है। कई विदेशी कंपनियों ने अब चीन से अपने निवेश को समेटना शुरू कर दिया है और भारत और वियतना जैसे देशों का रूख किया है, जिसमें एपल सबसे प्रमुख है, जो अब पूरी तरह से चीन से निकलकर भारत में आ रहा है। पिछले साल चीन का वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2022 में कुल 17.94 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो चीन सरकार के आधिकारिक लक्ष्य 5.5 प्रतिशत से नीचे था। चीनी अर्थव्यवस्था को लगी ठेस के पीछे की एक बड़ी वजह शी जिनपिंग का शून्य कोविड पॉलिसी भी था, जिसकी वजह से देश में लॉकॉउन के हालात बने रहते थे। इसके अलावा शी जिनपिंग ने देश की रियल एस्टेट के अलावा बड़े औद्योगिक फर्मों पर बड़ी कार्रवाईयां भी कीं और विरोधी नेताओं की कंपनियों को बंद करवा दिया। जिनमें रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनियां भी शामिल थीं, जो अब बंद हो चुकी हैं।

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