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बंगाल में भाजपा से अकेले लड़ना ममता बनर्जी के लिए नहीं होगा आसान, INDIA का साथ जरूरी

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में बगैर विपक्षी एकजुटता के भाजपा का मुकाबला आसान नहीं होगा। यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को लेकर काफी आशान्वित हैं। वह गठबंधन की बैठकों में जोर-शोर से शामिल हो रही हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के घटकदल एक-दूसरे को घेरने में कोई कसर भी बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। बावजूद इसके इंडिया गठबंधन के घटकदलों को भरोसा है कि वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव सब आपस में गठबंधन और तालमेल के साथ लड़ेंगे। प्रदेश कांग्रेस नेता मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में अपने स्तर पर भाजपा का मुकाबला करना आसान नहीं है। क्योंकि, इस वक्त भाजपा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल है। तृणमूल की प्राथमिकता भाजपा को रोकना है।

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इंडिया गठबंधन में तृणमूल कांग्रेस की सक्रियता से गठबंधन की उम्मीद जगी है। गठबंधन क्या शक्ल लेगा, इस तस्वीर को साफ होने में अभी वक्त लगेगा। पर हमारा मानना है कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी वोट को एकजुट करने की जरूरत कांग्रेस से ज्यादा तृणमूल कांग्रेस को है। क्योंकि, वर्ष 2019 के चुनाव में तृणमूल ने 22 सीट पर जीत दर्ज की। 19 सीट पर वह दूसरे नंबर पर थी।

इसके साथ ही ममता बनर्जी मुस्लिम मतदाताओं को लेकर भी चिंतित हैं। वर्ष 2021 के विधानसभा के बाद हुए उपचुनाव और स्थानीय निकायों के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने तृणमूल के मुकाबले कांग्रेस पर भरोसा जताया है। पश्चिम बंगाल में 42 में से 13 लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इनमे से सात सीट पर तृणमूल और दो सीट पर कांग्रेस की जीत हुई थी। जबकि चार सीट पर भाजपा को जीत मिली। मालदा दक्षिण से कांग्रेस पहले और भाजपा दूसरे नंबर पर थी। जबकि तृणमूल कांग्रेस को साढ़े तीन लाख वोट मिले थे। इसी तरह मालदा उत्तर से भाजपा पहले और तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। दोनों के बीच एक लाख वोट का फर्क था। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को तीन लाख वोट मिले थे। वर्ष 2019 में तृणमूल कांग्रेस जिन सीट पर दूसरे नंबर पर रही है, उनमें से आठ सीट पर विपक्षी खेमे के वोट जोड़ लिए जाए, तो पासा पलट सकता था।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वामदल कोई सीट जीतने में नाकाम रहे। उनके वोटबैंक में भी काफी गिरावट आई। पर इस सबके बावजूद वामदल 30 लोकसभा सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस का वामदलों के साथ गठबंधन आसान नहीं है। तृणमूल कांग्रेस ने वामदलों से ही सत्ता छिनी थी। इसलिए, इंडिया गठबंधन रणनीतिकार भी मानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस और वामदलों में सीधे कोई समझौता होना मुश्किल है।

प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि वर्ष 2016 में भाजपा को विधानसभा में सिर्फ तीन सीट मिली थी। पर लोकसभा में वह 18 सीट जीतने में सफल रही। इस वक्त भाजपा के पास विधानसभा की 77 सीट हैं। ऐसे में तृणमूल के लिए कांग्रेस से ज्यादा बड़ी चुनौती भाजपा है। तृणमूल कांग्रेस यह समझ चुकी है कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी वोट को एकजुट रखकर ही भाजपा का मुकाबला किया जा सकता है। इसलिए, तृणमूल कांग्रेस इंडिया गठबंधन को लेकर गंभीर है।

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