IT रिटर्न में ये गलती न करें, खानी पड़ सकती है जेल की हवा
कर चोरी और काले धन पर अंकुश के लिए सरकार और आयकर विभाग ने ढेरों उपाय किए हैं. इनमें कर चोरी के मामलों में कार्रवाई से लेकर संदिग्ध करदाताओं की आय के स्रोतों की जांच तक शामिल है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इसके साथ ही वेतनभोगी करदाताओं को भी चेतावनी दी है कि वे आय को कम दिखाकर और कर छूट के दावों को बढ़ा-चढ़ा कर गलत आयकर रिटर्न (ITR) न भरें. ऐसा करने पर आयकर विभाग न सिर्फ उन पर जुर्माना लगाएगा बल्कि आयकर (आईटी) अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही भी करेगा. इस अधिनियम के तहत सजा के अलग-अलग प्रावधान हैं. सजा या जुर्माना गड़बड़ी कैसी है उस पर निर्भर करता है और अगर कर चोरी की है तो उसके लिए अलग सजा है. आइए आईटी नियम के प्रावधानों पर नजर डालते हैं:
रिटर्न में गलत दावा कर चोरी माना जाएगा
आयकर विभाग के मुताबिक अगर कोई वेतनभोगी कर्मचारी किसी सीए या कर सलाहकार की गलत सलाह पर रिटर्न में गलत दावा करता है तो इसे कर चोरी माना जाएगा। इस मामले में न सिर्फ उस पर कार्रवाई होगी बल्कि वह सीए या कर सलाहकार भी फंसेगा. साथ ही विभाग अपने स्तर पर कर चोरी की गहन पड़ताल कराएगा. विभाग के पास इसे चेक करने का बड़ा स्वचालित सिस्टम है, जो आईटीआर की प्रोसेसिंग के काम में आता है। कोई भी कर्मचारी या अधिकारी इसमें हेरफेर नहीं कर सकता।
सरकारी विभागों या सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के गलत दावों की जानकारी संबंधित सतर्कता विभाग (Vigilance) को दी जाएगी। वह नियमानुसार कार्रवाई करेगा और इसकी जानकारी विभाग को मुहैया कराएगा. इस मामले में सेक्शन 270A के तहत जुर्माना लगेगा. यह प्रावधान हाल में आईटी अधिनियम में जोड़ा गया है. अगर गड़बड़ी साबित हो जाती है तो आय पर टैक्स का 50% हिस्सा जुर्माना लगेगा. हालांकि, अगर गलत दस्तावेज लगाकर गलत आय बताई गई है तो यह जुर्माना बढ़कर 200% हो जाएगा. इसमें सेक्शन 276सी के तहत कार्रवाई होगी. ऐसे मामलों में छह माह से 7 साल तक सजा का प्रावधान है. जुर्माना 25 लाख रुपए तक हो सकता है.
अज्ञात स्रोतों से आय मालूम चलने पर सजा
विभाग का कहना है कि सिर्फ आय बताना काफी नहीं है बल्कि आय के स्रोत की जानकारी भी देना जरूरी है. आयकर अधिनियिम के सेक्शन 271एएसी के तहत आयकर अधिकारी इस मामले में 10 फीसदी की दर से जुर्माना लगा सकता है. अगर आय कैश क्रेडिट, अघोषित निवेश, अज्ञात धन, निवेश की रकम गलत बताने और खर्चों की सही जानकारी न देने पर भी जुर्माने का प्रावधान है. अगर रिटर्न की प्रोसेसिंग के दौरान पता चला कि टैक्स ऑडिट नहीं करवाया गया तो भी पेनॉल्टी लगती है. ये सिर्फ व्यापारियों या कंपनियों के लिए है.
रिटर्न फाइल न करने या देरी पर सजा
अगर इनकम टैक्स रिटर्न नहीं फाइल किया गया तो भी जुर्माना लगाया जाता है. इसके लिए 5000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. अगर यह पता चलता है कि टीडीएस रिटर्न साल भर के अंदर नहीं फाइल किया गया है तो पेनाल्टी 10 हज़ार से 1 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. अगर किसी व्यक्ति ने पैन कार्ड इनकम टैक्स अकाउंट से नहीं लिंक किया है तो यह भी अपराध की श्रेणी में आता है. अगर पैन का ब्योरा गलत है तो भी ये अपराध है ऐसे में 10 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. टैन (टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन एकाउंट नंबर) के मामले में गड़बड़ी मिलने पर 10 हज़ार रुपए का जुर्माना लगता है. अगर इनमें से कोई गलती ज्यादा बड़ी समझ आती है और किसी का जुर्म साबित हो जाता है तो जुर्माने के साथ-साथ उसे जेल भी हो सकती है.