नई दिल्ली: जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के दूसरे दिन भी उसकी दहशत लोगों के जहन में मौजूद है। डर का आलम यह है कि कुशल चौक के आसपास स्थित सभी दुकानें बंद हैं। रमजान के दिनों में जिन सड़कों पर दोपहर बाद ही रौनक होती थी, वहां हर तरफ पुलिस व सुरक्षाबलों का पहरा है। जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए हैं। स्थानीय लोग डर के चलते कॉलोनियों का गेट बंद करके गलियों में सिमट कर रह गए है। हिंसा के निशान अभी भी कही दुकानों पर तो कही गाड़ियों के टूटे शीशे और जले हुए ठेले के रूप में मौजूद हैं। पुलिस बल की भारी मौजूदगी यह बताती है अभी भी हालात बिलकुल ठीक नहीं है।
स्थानीय लोग जो चार दशकों से यही रहते हैं वह कल के हालात की बात सोचकर भी खौफजदा हैं। जहांगीरपुरी के जी ब्लॉक के पांचसौ वाली गली में रहने वाले राशिद बताते हैं कि वह शाम को करीब छह बजे घर के सामने बैठे थे। वह जिस गली में रहते हैं वहां सभी हिंदू परिवार हैं। उन्होंने बताया कि हम शोर सुनकर कुछ समझ पाते तभी कुछ लोग पत्थर तलवारों के साथ गलियों में घुस आए। उनके पड़ोसी पवन ने बताया कि हमनें किसी तरह घर में भागकर अपनी जान बचाई। राशिद ने अपने घर के बाहर इकट्ठा किए हुए उन ईटों को भी दिखाया जो भीड़ की ओर से फेंके गए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह भीड़ आई उससे पूरी गली डर गई थी। गली में खड़ी एक कार के शीशे भी उपद्रवियों ने तोड़ दिया।
कॉलोनी के गेट बंद होने पर कहा कि हमने सुरक्षा के लिए यह बंद किया है। सी ब्लॉक स्थित धार्मिक स्थल जहां से विवाद शुरू हुआ, उसके बगल की गली जो जहांगीरपुर बी ब्लॉक तक जाती है वहां बंद गेट के अंदर खड़े लड़के से बात करने की कोशिश की तो बोला हमें बात नहीं करनी है। अंदर आने के लिए गेट खोलने को कहा तो वह उसके लिए तैयार नहीं हुआ। वहीं थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर गली नंबर 4 की गलियों में भीड़ नजर आई। गली की दुकानें खुली थीं, मगर वह मीडिया की भीड़ से नाखुश नजर आए। सादी वर्दी में आए पुलिसवालों ने जब उन युवकों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि हमें ही बुरा बनाया जाएगा। हम क्यों बात करें। उन्होंने पुलिसवालों को कुछ भी बताने से मना कर दिया।