उत्तराखंड में नए जेलों के निर्माण की दिशा में तेज हुआ काम
देहरादून: समाज से आतंक को खत्म करने और आतंकियों को उनके सही जगह तक पहुंचाने के लिए जिस स्थान का सबसे पहले नाम आता है वह है जेल। किसी भी राज्य में पर्याप्त मात्रा में जेलों का होना , जेलों का सही हालात में होना , जेलों में सुधारात्मक कार्यवाहियां होना जरूरी है क्योंकि इससे पुलिस प्रशासन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर उत्तराखंड की धामी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय किया है और चम्पावत और बागेश्वर में जेल बनाने के प्रस्ताव पर उत्तराखंड शासन की मुहर लग चुकी है। इसके लिए चम्पावत में जमीन का चयन हो चुका है और डीपीआर बनाई जा रही है। वहीं बागेश्वर में जेल की डीपीआर बन गई है। जेल कितनी क्षमता की बनेगी इस पर विचार होना अभी बाकी है। इस निर्णय का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि इससे कुमाऊं की जेलों का भार हाेगा कम होगा।
इससे पहले पिथौरागढ़ में 100 कैदियों की क्षमता वाली नई जेल बनाने का निर्णय हुआ था और वहां बन रही जेल का काम 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। आइजी जेल पुष्पक ज्योति ने इस बात कि पुष्टि की है कि पिथौरागढ़ जेल का काम 80 प्रतिशत हो चुका है।
गौरतलब है कि सितारगंज की सेंट्रल जेल को छोड़ दिया जाए तो कुमाऊं में मात्र दो जेल हैं। एक जेल हल्द्वानी और दूसरी अल्मोड़ा में है। दोनों में क्षमता से दोगुना अधिक बंदी व कैदी रह रहे हैं। बंदियों की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए जेल प्रशासन की ओर से शासन को नई जेल बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था।
इसके साथ ही ऊधम सिंह नगर के किच्छा स्थित पराग फार्म में जेल निर्माण का काम भी तेजी से हो रहा है। जेल अधिकारियों के अनुसार यह कुमाऊं की सबसे बड़ी जेल होगी। एक बैरक में तकरीबन 400 कैदी व बंदी रह सकते हैं। जेल के अंदर ही बच्चों के खेलने के लिए अलग मैदान बनाए जा रहे हैं।