जल जीवन मिशन: मिजोरम अव्वल, असम सबसे पीछे
–संजीव कलिता
पूर्वोत्तर राज्यों में जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लागू करने का काम तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। हर घर नल से जल पहुंचाने की केंद्र सरकार की इस अति महत्वपूर्ण योजना को सौ फीसदी लागू करने की जद्दोजहद असम सहित पड़ोसी राज्यों में इन दिनों देखी जा रही है। हालांकि, मिजोरम (98.33 प्लस फीसदी), अरुणाचल प्रदेश (97.78 प्लस फीसदी), सिक्किम (88.54 प्लस फीसदी), नागालैंड (82.82 प्लस फीसदी), मणिपुर (77.73 प्लस फीसदी), त्रिपुरा (75.22 प्लस फीसदी) और मेघालय (72.80 प्लस फीसदी) ने राष्ट्रीय औसत को पार करते हुए नए कीर्तिमान हासिल करने के बाद सौ फीसदी के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इन सभी राज्यों की तुलना में असम जेजेएम लागू करने के मामले में भले ही पीछे है लेकिन हकीकत यह है कि पूर्वोत्तर के सभी अन्य राज्यों की तुलना में असम में जेजेएम के चयनित लाभार्थियों की संख्या कहीं अधिक है।
मालूम हो कि इस केंद्रीय योजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने की है। देश के हर घर में नल के जरिए स्वस्थ्य पेयजल उपलब्ध करवाने की केंद्र सरकार की यह योजना पूर्वोत्तर राज्यों में जनांदोलन का रूप ले चुका है। जल जीवन मिशन-हर घर जल के तहत फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन (एफएचटीसी) के जरिए देश के ग्रामीण घरों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के इस लक्ष्य की ओर पूर्वोत्तर सहित देश के अधिकांश राज्य अपेक्षित लक्ष्य की रोज बढ़ रहे हैं। सौ फीसदी पूरा कर चुके नौ राज्यों में गोवा, अंडमान एवं निकोबर द्वीप समूह, दादर व नगर हवेली और डिऊ एवं दमन, हरियाणा, तेलंगाना, पुडुचेरी, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने अपना नाम दर्ज करा लिया है।
केंद्र सरकार के जलशक्ति विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे भारतवर्ष के ग्रामीण इलाकों के कुल 19,25,02,970 घरों में एफएचटीसी लगवाने का काम तेज गति से बढ़ रहा है। सन 2019 के 15 अगस्त तक पूरे देश में सिर्फ 3,23,62,838 घरों तक ही यह योजना लागू हुई थी। यानी, केवल 16.81 फीसदी ही काम आगे बढ़ा हुआ था लेकिन अब तक राष्ट्रीय औसत दर 72.23 प्लस फीसदी तक पहुंच गया है। ताजा आंकड़ा 13,90,48,534 प्लस हो गया है। अब देखते हैं जेजेएम की पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में प्रगति के आंकड़ों पर। मिजोरम में जेजेएम के लाभार्थियों की संख्या 1,33,060 हैं। सन 2019 के 15 अगस्त तक महज 9,201 (6.91 फीसदी) लोगों के घरों तक ही एफएचटीसी का काम संपन्न हुआ था। जनवरी महीने में मिजोरम, जेजेएम में सौ फीसदी के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। अब तक एक लाख तीस हजार के आंकड़े को पार कर गया है।
अरुणाचल प्रदेश में कुल लाभार्थियों की संख्या 2,28,923 हैं। सन 2019 के 15 अगस्त तक 22,796 घरों में नल से जल पहुंचाने का काम पूरा हो चुका था। पूर्वोत्तर राज्यों में यह प्रदेश फिलहाल दूसरे नंबर पर सौ फीसदी के लक्ष्य तक पहुंचने की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश के 2,23,849 (97.78 प्लस फीसदी) घरों तक नल से जल पहुंच गए हैं। तीसरे स्थान पर रहकर आगे बढ़ रहे सिक्किम में 1,31,880 में से 1,16,763 लाभार्थी घरों में कनेक्शन पूरे हो गए हैं। सिक्किम में 88.54 फीसदी योजना सफल हुई है। नगालैंड में कुल 3,69,204 लाभार्थी हैं। सन उन्नीस के 15 अगस्त तक 13,882 घरों को ही जेजेएम के तहत नल से जल मिल रहे थे। फिलहाल, काम की गति तेजी से आगे बढ़ रही है और आंकड़ा 3,05,784 यानी 82.82 फीसदी से आगे बढ़ रहा है।
मणिपुर (77.73 प्लस फीसदी) और त्रिपुरा (75.22 प्लस फीसदी) भी रोज अपने राज्यों के चयनित लाभार्थियों के घरों तक नल से जल पहुंचाने की योजना को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में मेघालय ने जेजेएम के राष्ट्रीय औसत को पार किया है। 45 वर्षीय मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के दूसरे कार्यकाल में एनपीपी, यूडीपी और भाजपा की सरकार के शासन में पूर्वोत्तर के इस पहाड़ी प्रदेश में जेजेएम योजना के तहत अब लगभग 5 लाख घरों तक नल से जल पहुंचने लगा है। सन 2019 के 15 अगस्त तक मेघालय के 4,550 घरों (0.70 फीसदी) में ही नल से जल के कनेक्शन थे। तब से लेकर सन् 2023 तक यह आंकड़ा 72.37 फीसदी तक पहुंच गया है। बता दें कि जेजेएम का राष्ट्रीय औसत 72.1 फीसदी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मेघालय में आज की तारीख में 4,71,544 घरों तक नल से जल पहुंचना शुरू हो गया है।
दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बसे नागरिकों के घरों तक नल से स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की इस बीड़ा को उठाते हुए संगमा सरकार ने एक ओर जहां केंद्र सरकार की योजना को जन-जन तक पहुंचाने में काफी सक्रियता दिखाई है तो दूसरी ओर अपने नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को साबित कर दिखाया है। संगमा सरकार की इस परिवर्तनकारी यात्रा ने पूर्वोत्तर के अन्य पड़ोसी राज्यों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ते दिखाई देने लगा है और जेजेएम को अपने-अपने राज्य में सौ फीसदी लोगों तक पहुंचाने में युद्धस्तर पर काम चल रहा है।
इस योजना को लागू करने के मामले में प्रदेश की प्रगति से उत्साहित मुख्यमंत्री संगमा इसका सारा श्रेय विभागीय मंत्री, अभियंता, अधिकारी और नागरिकों की भागीदारी को देते हैं। वे कहते हैं कि जेजेएम के लिए कनेक्शन के मामले में राष्ट्रीय औसत को पार करना वाकई मेघालय के लिए उत्साहवर्धक बात है। जब हमने इस मिशन को शुरु किया था तो देश के भीतर सबसे पीछे मेघालय (0.75 फीसदी) था। लेकिन इसे तेजी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री, अभियंता, अधिकारी आदि के संयुक्त प्रयास की बदौलत हमने जेजेएम के राष्ट्रीय औसत को भी पार कर लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि बहुत ही कम समय में मेघालय जेजेएम को लागू करने के मामले में सौ फीसदी के लक्ष्य को पूरा कर पाएगा। आत्मविश्वास भरे लहजे में मुख्यमंत्री संगमा कहते हैं-‘शीघ्र ही हम जेजेएम को पूरा करने वाले राज्यों की सूची में शामिल हो जाएंगे।’
हालांकि, सौ फीसदी पूरा करने का जज्बा दिखाने वाले मुख्यमंत्री इसमें आने वाली चुनौतियों को लेकर पहले से ही सतर्क भी हैं। इसलिए उन चुनौतियों को खोजकर उनका समाधान करने पर बल देने में जुटे हुए हैं। पहाड़ी राज्य होने के नाते मेघालय में जल श्रोत से संबंधित काफी चुनौतियां हैं। हर नागरिकों के घर तक नल से जल पहुंचाने में कुछ हद तक सरकार के समक्ष आ रही चुनौतियों को जल संसाधन, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, वन एवं अन्य संबंधित विभाग एक साथ मिलकर रोडमैप बनाने में लगे हुए हैं। सभी एकजुट होकर चुनौतियों से निपटाने में ध्यान केंद्रित करने के साथ आसानी से हर घर नल से जल पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।