जया एकादशी कल: विष्णु जी के लिए व्रत के साथ नकारात्मकता होगी दूर
ग्वालियर : मंगलवार, 23 अगस्त को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे जया और अजा एकादशी कहते हैं। इस तिथि पर विष्णु जी के लिए व्रत-उपवास और विशेष पूजा की जाती है। पूजा के साथ ही कुछ और पुण्य कर्म भी हैं जो इस व्रत के साथ करने की परंपरा है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें, मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें, ध्यान करें, तीर्थ दर्शन और पवित्र नदियों में स्नान भी कर सकते हैं।
तीर्थ यात्रा के लिए उत्तराखंड में हरिद्वार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, नैनीताल जैसी की अच्छी जगहें हैं। इनके अलावा वाराणसी, उज्जैन, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम भी बेहतर विकल्प हैं। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक हर महीने कम से कम एक बार किसी तीर्थ क्षेत्र की यात्रा की जाती है तो मन शांत रहता है और प्रसन्नता बनी रहती है। शास्त्रों में तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान करने के बारे में लिखा है। ऐसी मान्यता है कि इन शुभ कामों से धर्म लाभ मिलता है और जाने-अनजाने पापों के फल से छुटकारा मिलता है। सभी तीर्थों के आसपास का प्राकृतिक वातावरण स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
सभी बड़े मंदिरों में दिनभर पूजा-पाठ, हवन, मंत्र जप आदि शुभ कर्म होते रहते हैं, जिनकी वजह से मंदिर और मंदिर के आसपास का वातावरण पवित्र हो जाता है। ऐसे वातावरण में रहने से हमारा मन शांत होता है। नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और प्रसन्नता बढ़ती है।
जब हम अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, अन्य प्रदेशों के लोगों से मिलते हैं तो हमें उनके बारे में जानने का अवसर मिलता है। दूसरी जगहों की परंपराएं, कथाएं मालूम होती हैं। यात्रा करने से हमें नई-नई चीजें सीखने का अवसर मिलता है।
तीर्थ दर्शन करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। श्रीराम ने वनवास के समय कई पवित्र जगहों की यात्रा की, साधु-संतों के साथ सत्संग किया, श्रीकृष्ण ने भी कई यात्राएं कीं और पांडवों को भी यात्रा और तप करने के लिए प्रेरित किया था। समय-समय पर तीर्थ यात्रा करते रहने से जीवन में चल रही परेशानियों से कुछ समय के लिए मुक्ति मिल जाती है। लंबे समय तक एक जैसी दिनचर्या चलती रहती है तो तनाव बढ़ जाता है और काम में उत्साह नहीं रहता है। यात्रा करने से तनाव दूर होता है और हमें ऊर्जा मिलती है और उत्साह बढ़ जाता है।