पटना :राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा मोहम्मद शहाबुद्दीन की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ की गयी टिप्पणी का समर्थन किए जाने के बाद राजद और जदयू में तनाव की स्थिति देखी जा रही है. रघुवंश प्रसाद सिंह की टिप्पणी के बाद जदयू ने एतराज करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद से अपील की कि वे अपनी पार्टी के भीतर गठबंधन धर्म की मर्यादा के पालन का भरोसा दिलाएं.
जदयु कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बिहार सरकार में वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह बराबर टिप्पणी करते रहते हैं. अमर्यादित भाषा में बात करते हैं जिसकी इजाजत गठबंधन धर्म नहीं देता. उनकी बातों में ओछापन है. राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि वह नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन महागठबंधन के फैसले को मानना पड़ा.बिजेंद्र ने कहा कि गठबंधन धर्म का पालन करना सबका दायित्व बनता है अगर उन्हें तल्खी और परेशानी है तो अपनी बात अपने दल के भीतर रखें. भाजपा से ज्यादा विरोधी स्वर उनका रहता है.
रघुवंश प्रसाद सिंह की टिप्पणी से गलत सन्देश जाता है. ललन ने कहा कि कभी भी किसी जदयू नेता ने राजद के किसी नेता के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की. दोनों मंत्रियों ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से अपील की कि गठबंधन धर्म के मर्यादा के उल्लंघन पर रोक लगाने का भरोसा दिलाएं. बता दें कि शहाबुद्दीन की उस टिप्पणी कि वे परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं को ज्यादा तरजीह न देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल कहा था कि दुनिया को मालूम है कि बिहार की जनता का क्या जनादेश है, तो हम जनता के मुताबिक चलें या कोई आदमी कुछ बोल रहा है उस पर ध्यान दें. आज तक हम लोगों ने कभी ध्यान दिया है. इन सब बातों का कोई महत्व नहीं है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी पर पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद शहाबुद्दीन की रिहाई के लिए राज्य सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी करने के लिए कहा कि वे बिहार की जनता के बीच भय का वातावरण पैदा करना चाहते हैं. सुशील के जदयू से निष्कासित और निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की तरह शहाबुद्दीन पर सीसीए (अपराध नियंत्रण कानून): लागू किए जाने की मांग किए जाने पर बरसते हुए कहा कि पटना हाईकोर्ट के 2014 के उस आदेश को पढ़ना चाहिए जिसमें वर्ष 2013 में नौ महीने पूर्व एक व्यक्ति पर दर्ज मामले में उसे हिरासत में रखे जाने पर प्रश्न उठाया गया था.
ऐसे में 11 साल पुराने एक मामले में कैसे शहाबुद्दीन पर सीसीए लगाया जा सकता है. उल्टे उन्होंने भाजपा से पूछा कि पत्रकार राजदेव नंदन की हत्या मामले में सीबीआई ने राज्य सरकार द्वारा अनुशंसा किए जाने पर भी क्यों नहीं अब तक उसकी जांच शुरू की. शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ क्या राज्य सरकार उच्च अदालत में अपील करेगी, इस पर दोनों मंत्रियों ने कहा कि कानून अपना काम करेगा.