झारखंड विधानसभा चुनाव : मंईयां का मैजिक
पहली बार झारखंड विधानसभा चुनाव में परंपरा बदली, इंडिया लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। 81 सीटों में से इंडिया गठबंधन को रिकॉर्ड 56 सीट मिले। जीत का सबसे बड़ा कारण मंईयां योजना और सोरेन की पत्नी कल्पना की प्रचार शैली रही। हेमंत गठबंधन बचाने में सफल रहे, कल्पना सोरेन का धुआंधार प्रचाा काम आया और मंईयां सम्मान योजना सफल रही। हेमंत की जेल यात्रा का असर और ग्राउंड जीरो पर कुशल रणनीति भी जीत का महत्वपूर्ण हिस्सा रही।
–उदय चौहान
हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। झारखंड की स्थापना के 24 वर्षों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी मुख्यमंत्री ने दोबारा शपथ ली है। इन सब के बीच जनता ने ऐतिहासिक फैसला लिया और इंडिया गठबंधन की सरकार को पूर्ण बहुमत दिया है। दूसरी तरफ एनडीए का घुसपैठिया का मुद्दा उल्टा पड़ गया। बाहरी नेताओं के हाथ कमान देना, हेमंत सोरेन को टारगेट करना, चुनाव के दौरान छापे, पार्टी में गुटबाजी और बागी नेताओं से परेशानी हार का कारण बनी। झारखंड के चुनावी नतीजे ने हेमंत सोरेन की जमीनी ताकत का एहसास विपक्ष को करवा दिया। हालांकि, इसकी तैयारी हेमंत सोरेन ने करीब 10 माह पहले ही शुरू कर दी थी। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने ताकत लगाने में कोई कसर छोड़ी। भाजपा किसी भी कीमत पर झारखंड जीतना चाहती थी लेकिन हेमंत की जेल यात्रा और कल्पना का उदय, मंईयां योजना के साथ-साथ किशोरी समृद्धि योजना, गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना ने झारखंड में हेमंत की वापसी की आधारशिला रख दी थी।
इस परिणाम से एक बात साफ हो गई कि हेमंत की सत्ता में वापसी महिलाओं के समर्थन का परिणाम है। इस चुनाव में कुल 1.77 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले, इसमें 51.56% यानी 91.6 लाख महिला वोट पड़े। इस बार पुरुष वोट सिर्फ 48.4% ही पड़े। पुरुषों की तुलना में महिला वोटरों ने 3.82% अधिक को डाले हैं। राज्य के 81 सीटों में से 68 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है। हेमंत सोरेन ने मंईयां योजना के जरिए महिला मतदाताओं को टारगेट किया और सफलता पायी। चुनाव से पहले ऋण माफी योजना को लांच किया और किसानों को आर्थिक सहायता दी गई। जब भाजपा ने उसके जवाब में गोगो दीदी योजना में 2100 रुपए हर महीने देने का वादा किया तब हेमंत सरकार ने दिसंबर से मंईयां योजना की राशि 1000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करने का निर्णय किया। महिलाओं के बीच इस योजना ने दोतरफा असर किया। जिन्हें इसका लाभ मिल चुका था, वह संतुष्ट थीं, जिन्हें नहीं मिला था उन्हें मिलने की उम्मीद थी। चुनाव से पहले सत्ता पक्ष की मंईयां योजना का पैसा मिल चुका था, इसलिए महिलाओं ने इस पर ज्यादा भरोसा किया। ऐसा पहले मध्य प्रदेश में हुआ और अब झारखंड और महाराष्ट्र में भी महिला वोटों को रिझाने में बड़ी भूमिका निभाई।
200 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना जिसने घर-घर में सरकार की छवि को और मजबूत किया जब मतदान का दिन आया तो महिला मतदाता बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचीं। आंकड़ों के मुताबिक महिला वोटरों में से 70.46 प्रतिशत ने मतदान किया। यह उत्साह सत्ता के पक्ष में निर्णायक साबित हुआ। हेमंत सोरेन की रणनीति राज्य की महिला मतदाताओं को केन्द्र में रखकर योजनाओं का क्रियान्वयन और भरोसा पैदा करना, यह नीति सटीक साबित हुई। महिलाओं ने इंडिया को सत्ता में दोबारा लाकर यह साबित कर दिया कि मंईयां का आशीर्वाद जीत का सबसे बड़ा आधार है। इस राज्य की कालखंड में एक बात और तय हो गई थी कि सीधे लाभ योजना किसी और सरकारी योजना से ज्यादा असरदार साबित होती है, जब पैसा सीधा खाते में जाता है तो जुड़ाव भी सिद्ध होता है।
उत्तरी छोटानागपुर : 25 सीट
उत्तरी छोटानागपुर में सबसे ज्यादा में 25 विधानसभा क्षेत्र हैं यह भाजपा के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और एनडीए प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी राजधनवार से जीत गए पर चंदनक्यारी से भाजपा विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी हार गए। हॉट सीट गांडेय से झामुमो की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन जीत गईं। भाजपा ने सबसे ज्यादा 12 सीटों पर जीत हासिल की। इंडिया गठबंधन में जहां झामुमो 5 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, दूसरे नंबर पर कांग्रेस को तीन सीट पर जीत हासिल हुई। हालांकि डुमरी से झामुमो की प्रत्याशी मंत्री बेबी देवी चुनाव हार गईं। यहां चार बार से विधानसभा और एक उपचुनाव में झामुमो का कब्जा रहा था। इस बार नई पार्टी जेएलकेएम के जयराम महतो ने जीत हासिल की। भाजपा-12 झामुमो-5 कांग्रेस-3 अन्य-5
दक्षिणी छोटानागपुर : 15 सीट
15 विधानसभा क्षेत्र वाले दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2009 और 2019 में भाजपा को पांच-पांच सीटें मिली थीं जबकि 2014 में 8 और 2005 में 7 सीटों पर कब्जा किया था। इस बार भाजपा को सबसे कम 2 सीटों पर यहां संतोष करना पड़ा यानी भाजपा अपने ट्रेंड को बरकरार रखने में सफल हो गई। रांची में जीत हासिल की। खूंटी में भाजपा लगातार चुनाव जीत रही थी। इस बार नीलकंठ सिंह मुंडा चुनाव हार गए। इस प्रमंडल के सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के खास सहयोगी आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो और जदयू की टिकट पर चुनाव तमाड़ से चुनाव लड़ रहे राजा पीटर चुनाव हार गए। लोहरदगा से कांग्रेस के डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने अपनी जीत को बरकरार रखा। भाजपा- 2 झामुमो- 7 कांग्रेस- 6 सीट।
संथाल परगना : 18 सीट
संथाल परगना विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा प्रमंडल है, इसे झामुमो का गढ़ माना जाता रहा है। झामुमो ने यहां से 11 सीट जीतकर एक बार फिर अपना वर्चस्व दिखाया है। भाजपा को एकमात्र जरमुंडी विधानसभा सीट पर ही जीत हासिल हो पाई है। भाजपा के घुसपैठ के मुद्दे और गोगो दीदी योजना को लोगों ने नकार दिया। यही नहीं, बीजेपी को एक समय झामुमो की कद्दावर नेता रहीं शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता जामताड़ा से स्वयं चुनाव हार गईं। चुनाव शुरू होते ही इरफान अंसारी के विवादित बयान से भाजपा को लाभ मिलने की उम्मीद थी। यह भी नहीं हो सका। भाजपा-1 झामुमो- 11 कांग्रेस-4 राजद- 2 सीट।
कोल्हान प्रमंडल : 14 सीट
कोल्हान में फिर से झामुमो का जादू चला पर पश्चिम सिंहभूम में भाजपा की झोली खाली रही। मंत्री बन्ना गुप्ता पर सरयू राय भारी पड़े जबकि पूर्णिमा दास साहू ने अपने ससुर रघुवर दास की विरासत को बरकरार रखा। पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा और मधुकोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा चुनाव हार गईं। चंपई के पुत्र बाबूलाल और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर दिनेशानंद चुनाव हार गए। जमशेदपुर पूर्वी से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अजय कुमार बुरी तरह से पीटे। भाजपा-2 झामुमो- 10 कांग्रेस-1 जदयू-1।
पलामू प्रमंडल : 9 सीट
विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से पलामू राज्य का सबसे छोटा प्रमंडल है। यहां दो सीटों विश्रामपुर और छतरपुर में इंडिया गठबंधन के बीच जो दोस्ताना संघर्ष था, लेकिन दोनों सीटों पर इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली। हालांकि उनके दोनों मंत्री मिथिलेश ठाकुर गढ़वा से और बैजनाथ राम लातेहार से चुनाव हार गए। झामुमो ने पहली बार 2019 में दो सीट जीतकर यहां खाता खोला था। इस बार भवनाथपुर के रूप में नई सीट आई है। बीते चार चुनाव में यहां ट्रेंड बदलता रहा है, कभी राजद का प्रभाव क्षेत्र हुआ करता था, इस बार राजद को दो सीटें मिली हैं। इस प्रमंडल में एनडीए और इंडिया लगभग बराबरी पर रहे इंडिया को 5 और एनडीए को 4 सीटें मिलीं। भाजपा- 4 झामुमो-1 कांग्रेस- 2 राजद- 2।