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JNU : उमर खालिद के पिता बोले, ‘मेरे बेटे को समर्पण करना चाहिए, वह आतंकी नहीं है’

umar-khalid-father_650x400_61455867158दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: संसद हमला मामले के दोषी आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में कार्यक्रम आयोजित करने वाला 28 वर्षीय छात्र उमर खालिद घटना के एक सप्ताह बाद भी फरार है। इस बीच, उमर के पिता ने शुक्रवार को कहा, ‘यह माहौल ठीक हो तौ मैं उसे समर्पण करने की अपील करूंगा।’ अफजल के पिता सिमी के पूर्व सदस्य रहे हैं और इस समय राजनीति में सक्रिय हैं।

गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। घटना से संबंधित छह छात्रों पर पुलिस ने आरोप लगाया है, जिसमें से केवल एक-कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इन छात्रों की तलाश में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में छापे मारे हैं लेकिन अब तक उसे नाकामी ही हाथ लगी है। खालिद की बहन ने NDTV से बातचीत में कहा, ‘मुझे कहा गया है कि भारत माता के नाम पर हम तुम्हारे घर आकर तुम्हें मार देंगे, तुम्हारे साथ रेप करेंगे। पहचान उजागर न करने के लिए उसके चेहरे को कवर किया गया था।’  

मामले की अदालत में सुनवाई के दौरान वकीलों के एक समूह की ओर से हिंसा की घटना में पूरे मामले में ध्रुवीकरण कर दिया। जहां वकीलों के इस समूह का कहना है कि उन्हें भारत विरोधियों को सबक सिखाने का अधिकार है, वहीं विपक्ष का आरोप है कि असहमत लोगों और अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचलने के लिए सरकार की ओर से देशद्रोह के कानून का ‘हथियार’ की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजेपी और इसके समर्थकों को कहना है कि कन्हैया और उमर खालिद जैसे लोगों को देश के विभाजन से संबंधित नारेबाजी और बयानबाजी और अफजल गुरु का समर्थन करने के लिए बख्‍शा नहीं जाना चाहिए। गौरतलब है अफजल को वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के मामले में दोषी मानते हुए तीन साल पहले फांसी दी गई थी।

जेएनयू की घटना से जुड़े वीडियो क्लिप में खालिद कश्मीर की आजादी के लिए नारेबाजी करते हुए अफजल को फांसी देने के लिए सरकार पर निशाना साधते हुए दिख रहा है। उमर के पिता सैयद कासिम इलियास ने NDTV से बातचीत में कहा, ‘उमर ने जो नारे लगाए, उसमें से कुछ का मैं समर्थन नहीं करता लेकिन क्‍या अफजल गुरु की प्रशंसा करना देशद्रोह माना जा सकता है?’ इलियास के अनुसार, उन्‍होंने स्टेडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) इसे आतंकी संगठन के रूप में प्रतिबंधित किए जाने के पहले ही छोड़ दिया था।

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