बेंगलुरु : कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करना एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर (JDS) के लिए भारी साबित हो रहा है। अब तक सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता पार्टी का साथ छोड़ दिए हैं। इनमें से अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। बुधवार को मैसूर शहर के नरसिम्हराजा विधानसभा क्षेत्र के अब्दुल खादर सहित 100 से अधिक पदाधिकारियों ने जेडीएस से इस्तीफा सौंप दिया।
जेडीएस के सिंबल पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले खादर ने कहा, “भाजपा और आरएसएस पूरे देश में मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है। नफरत की राजनीति कर रही है। वे मुस्लिम समुदाय को परेशान कर रहे हैं। भाजपा नेता खुले तौर पर कहते हैं कि वे नहीं चाहते हैं मुस्लिम वोट दे। ऐसे में हम सभी इस बात से दुखी हैं कि जेडीएस कर्नाटक में बीजेपी के साथ गठबंधन में है।”
मुस्लिम नेताओं ने कहा कि उनके मन में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के लिए सम्मान है, लेकिन भाजपा के लिए नहीं। इस्तीफा देने वाले जेडीएस अल्पसंख्यक नेताओं ने जेडीएस अध्यक्ष सीएम इब्राहिम से भी आग्रह किया कि वह तुरंत इस्तीफा दें।
जेडीएस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद शफीउल्ला साहब ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जेडीएस की प्रवक्ता रहीं यूटी फरजाना अशरफ ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। फरजाना ने जेडीएस मीडिया सेल के प्रमुख श्रीकांत गौड़ा को लिखे पत्र में कहा कि वह ‘वैचारिक मतभेदों के कारण’ पार्टी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे रही हैं।
जेडीएस के संरक्षक एचडी देवेगौड़ा ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे।
जेडीएस की बात करें तो लंबे समय से कर्नाटक में एक मजबूत तीसरा खिलाड़ी है। यहां बीजेपी और कांग्रेस की आमने-सामने की लड़ाई होती है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता से बेदखल किया।