पत्रकारिता दिवस विशेष: भारत का पहला अखबार था ‘बंगाल गजट’, जिससे परेशान थी ब्रिटिश हुकूमत
देहरादून (गौरव ममगाई)। जब-जब जुर्म एवं अन्याय बढ़ा, तब-तब स्वतंत्र पत्रकारिता ने न्याय एवं धर्म की स्थापना करने में योगदान दिया है। भारत में भी ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की बात हो, या फिर स्वतंत्र भारत में जनतंत्र को स्थापित करना, पत्रकारिता ने हमेशा से नागरिकों की स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा की। आइये जानते हैं भारत में पत्रकारिता का इतिहास कैसा रहा है?
वैसे तो भारत में पहली प्रिंटिंग मशीन लाने का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जाता है, जो 1674 में प्रिंटिंग प्रेस लाये थे। लेकिन, भारत में पहला समाचार-पत्र 1780 में जेम्स अगस्टस हिक्की के संपादकत्व में प्रकाशित हुआ, जिसका नाम था- ‘बंगाल गजट’, इस समाचार-पत्र में ब्रिटिश अधिकारियों के जीवन पर लेख छपते थे। एक बार बंगाल गजट ने गवर्नर की पत्नी के बारे में कुछ खुलासा किया, जिस पर गवर्नर व ब्रिटिश सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई। इस समाचार के लिए जेम्स अगस्टस हिक्की को 4 महीने के लिए जेल भेजा गया और 500 रुपये जुर्माना भी लगाया।
लेकिन, हिक्की यहीं नहीं रूके। कुछ समय बाद बंगाल गजट में गवर्नर व सुप्रीम कोर्ट के जज की भी आलोचना की गई। इस पर ब्रिटिश सरकार ने जेम्स हिक्की पर 5000 रुपये का जुर्माना लगा दिया और एक साल के लिए जेल भी डाला। ब्रिटिश सरकार बंगाल गजट समाचार-पत्र से डर गई और उसे यह डर सताने लगा कि कहीं यह समाचार-पत्र भारतीयों में जनचेतना का संचार न कर दे। इस कारण सरकार ने बंगाल गजट को बंद करा दिया था। बंगाल गजट भले ही बंद करा दिया गया हो, लेकिन इसके बाद अनेक समाचार-पत्रों का प्रकाशन शुरू होने लगा, जिन्होंने मुखरता एवं निर्भीकता के चलते स्वतंत्रता संग्रा में अग्रणी भूमिका निभाई।
1790 में भारतीय भाषा का पहला समाचार-पत्र आया ‘संवाद कौमुदी’ :
अंग्रेजी समाचार-पत्रों में समाचार अंग्रेजी भाषा में छपते थे, जिन्हें सामान्य भारतीय पढ़ने में अक्षम होते थे। इसलिए भारत में स्थानीय भाषाओं में भी समाचार-पत्र शुरू करन की मांग उठी। इसी क्रम में 1819 में पहला भारतीय समाचार-पत्र ‘संवाद कौमुदी’ प्रकाशित हुआ, जिसकी भाषा बंगाली थी। संवाद कौमुदी के संस्थापक राजा राममोहन राय थे। संवाद कौमुदी ने भारत में धार्मिक पुनर्जागरण हेतु निर्णायक भूमिका निभाई।
हिंदी का पहला अखबार था उदत मार्तंड::
1826 में हिंदी भाषा का पहला समाचार-पत्र उदत मार्तंड प्रकाशित हुआ। हालांकि, धन के अभाव के कारण यह एक साल बाद ही बंद हो गया। लेकिन, इसके बाद हिंदी समाचार-पत्रों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हो गया था। साहित्य में आधुनिक हिंदी भाषा को स्थापित करने में हिंदी लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘कविवचनसुधा’ का प्रकाशन किया। इसके बाद से पत्रकारिता में हिंदी को सहजता के साथ प्रयोग किया जाने लगा। हिंदी का पहला दैनिक समाचार-पत्र ‘सुधा वर्षण’ था। बंगदूत, बनारस अखबार समेत अनेक समाचार पत्रों ने भी पत्रकारिता को स्थापित करने, समाज सुधार के साथ भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। आज स्वतंत्र भारत में भी पत्रकारिता समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।