पाठकों को बीच लोकप्रिय होगा “कल्याणी कथा संग्रह” – जितिन प्रसाद
अमरेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ। शतरंग प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तथा मुक्ति नाथ झा द्वारा रचित कहानी संग्रह कल्याणी का विमोचन प्रदेश सरकार के प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद ने अपने आवास पर किया। इस अवसर पर श्री प्रसाद ने कल्याणी कथा संग्रह में संग्रहित कहानियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संवेदनशील कथाकार मुक्ति नाथ झा ने बड़े ही अच्छे ढंग से मूल्य आधारित सार्थक कहानियां लिखकर समाज के लिए प्रेरणा प्रदान की है। कल्याणी कथा संग्रह निश्चय ही पाठकों के बीच में लोकप्रिय होगा।
इसी कड़ी में प्रेस क्लब में लोकार्पण समारोह विनीत कंसल, कुलपति, एकेटीयू लखनऊ, विनोद कुमार त्रिपाठी, प्रोफेसर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, सुनील चौधरी, विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा, लखनऊ, डा.दिनेश अवस्थी, महामंत्री, राज्य कर्मचारी साहित्यकार संस्थान, यू.सी.वाजपेयी एवं जगदीश प्रसाद की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सर्वेश कुमार मिश्रा, अपर निजी सचिव, द्वारा मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की गयी। एकेटीयू के कुलपति विनीत कंसल ने कहा कि जब समाज में मूल्य तिरोहित हो रहे हैं, ऐसे संक्रमण काल में मुक्ति नाथ झा ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने वाली सुंदर कहानियां लिखकर प्रेरक कार्य किया है। अन्य वक्ताओं द्वारा भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त किये गये।
कल्याणी कथा संग्रह के विमोचन समारोह में मुक्ति नाथ झा ने कथा संग्रह की कहानियों को मूल्यपरक बताते हुए यह कहा कि लोकमंगल और संवेदना साहित्य की मूल एवं वास्तविक आत्मा है। साहित्य मानव समाज को सही अर्थों में मानवीय और लोक हितकारी बनाता है। उन्होंने कहा कि साहित्य वस्तुतः समाज की पुनर्रचना करता है। कथा संग्रह की कहानी ’अमृत संवाद’ और ’मिथ्या’ को अद्वैत वेदांत पर आधारित बताते हुए उन्होंने कहा कि आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रवर्तन करके आपस में गजब की एकता का प्रवर्तन किया गया था। श्री झा ने अन्य देशों के प्रसिद्ध कहानीकारों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि मानवीय संवेदना सब जगह समान रूप से अनुभूत की जाती है। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं द्वारा भी मुक्ति नाथ झा के कहानी संग्रह को काफी सराहा गया। नूतन कहानियां के संपादक सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रेम शंकर अवस्थी वरिष्ठ पत्रकार ने किया।