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कानपुर एनकाउंटर: नक्सलियों से भी खूंखार था विकास का आपराधिक कृत्य

पुलिसकर्मियों को भी मिले न्याय पूर्व डीजीपी की कोर्ट से अपील

लखनऊ, 16 जुलाई: कानपुर के खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को कुछ लोग सोशल मीडिया पर तेलंगाना के रेप-अपराधियों के एनकाउंटर से जोड़कर देख रहे हैं। बहस छिड़ी हुई है कि क्या यह सही है। कमोबेश प्रदेश के कई पूर्व डीजीपी और विकास दुबे के आतंक से पीड़ित परिवार तो ऐसा कतई नहीं मानते। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कृत्य नक्सलियों की हैवानियत से भी कहीं अधिक था। वहीं दिवंगत सीओ की बेटी वैष्णवी मिश्रा कहती हैं कि विकास कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती देकर समानांतर सत्ता चला रहा था। उसके आतंक से क्या आम लोग पुलिस तक भयभीत रहने को मजबूर थी।

तेलंगाना की तुलना विकास दुबे से करना बेईमानी-पूर्व डीजीपी

पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि अपराधी विकास दुबे के सभी अपराधिक कृत्यों को देखा जाए तो ‘धन लिप्सा’ के साथ ही उसके मन में राजसत्ता के प्रति अजीब तरह की नफरत दिखाई पड़ती थी, जोकि आतंकियों और नक्सलियों में विद्यमान रहती है। तेलंगाना की अमानवीय घटना एक स्त्री के प्रति जघन्य अपराध था। इन दोनों अपराधों की प्रवृति पूणर्तः भिन्न है। एक मानवता के विरुद्ध कृत्य था तो दूसरा सम्पूर्ण व्यवस्था के साथ ही राज्य को चुनौती थी। विकास ने उन कानून के रक्षकों को बेहरमी से मारा, जो आम लोगों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करते हैं। अतः दोनों की तुलना ही बेमानी है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि विकास दुबे, जुर्म की दुनिया का वह काला युग था, जिसका हर अपराध, शासन-सत्ता के इकबाल को चुनौती थी। 2001 में पुलिस थाने के अंदर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला का कत्ल हो या फिर 8 पुलिसकर्मियों का जघन्य हत्याकाण्ड, उसकी नजरों में राज्य की शक्ति का पर्याय ‘पुलिस’ की हैसियत और अहमियत ही नहीं थी। बर्बरता यह कि पुलिस कर्मियों को पकड़ कर गोली मारी गई। इतनी बेरहमी कि शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा का पहले पैर काटा फिर हत्या की। पुलिस कर्मियों के शवों को भी सामूहिक रूप से जलाने की कोशिश की गई। यही नहीं विकास दुबे के खास साथी प्रेम प्रकाश पाण्डेय की बहू व विकास दुबे के भाई की पत्नी के व्हाट्सप पर घूम रहे दोनों ऑडियो पूरे हत्याकाण्ड में घर की महिलाओं की सक्रिय सहभागिता की मुनादी कर रहे हैं। शशिकांत ने पुलिस को बताया कि विकास ने कहा कि अगर गोली नहीं चलाओगे तो मैं गोली मार दूंगा।

देखिए वीडियो: क्या कहते है पूर्व डीजी एके जैन

पूर्व डीजी एके जैन कहते हैं कि यह सम्पूर्ण घटनाक्रम व कार्यशैली विकास दुबे को महज एक अपराधी तक सीमित नहीं करती। नक्सलियों को अवश्य पुलिसकर्मियों का अंगभंग करते व उनके शवों पर नोचते देखा गया है। उसके पीछे उनका उद्देश्य राजसत्ता के विरूद्ध अपनी शक्ति और समार्थ्य को प्रकट करना था। विकास नक्सली भले न हो लेकिन नक्सल कार्यशैली से प्रेरित अवश्य था। विकास के पैतृक घर से एके-47 और इंसास राइफलें बरामद हुई हैं। संभव है कि उसके और ठिकानों की तलाश में और खतरनाक असलहों की बरामदगी हो।

मृतक राज्यमंत्री संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला कहते हैं कि हत्यारे विकास दुबे की यह स्वयंभू सरकार वाली प्रवृत्ति तो शुरू से ही थी। इसी वजह से उसने थाने में घूस कर बेखौफ होकर हत्या की लेकिन अफसोस यह है कि पूर्व की सरकारों ने इसे महसूस नहीं किया, जिसका अंजाम, हत्या दर हत्या के रूप में सामने है।

योगी जी पर मुझे गर्व, वह मेरे पिता-वैष्णवी

शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा कहती हैं -‘सीएम योगी आदित्यनाथ पर उन्हें गर्व है। वह मेरे पिता समान हैं। दरअसल यह किसी एक शहीद की बेटी का उद्गार मात्र नहीं बल्कि प्रदेश की 23 करोड़ जनता की सामूहिक चेतना की संतुष्टि का समेकित भाव है। विकास दुबे के गांव में ही पुलिस का फूल-मालाओं से स्वागत किया जा रहा है। खुशी के लड्डू बांटे जा रहे हैं।

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