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कर्नाटक सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के स्कूलों में हिजाब, भगवा गमछे पर प्रतिबंध लगाया

बेंगलूरु । कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने आदेश दिया है कि राज्य के मौलाना आजाद मॉडल इंगलिश मीडियम (Maulana Azad Model English Medium) के स्कूलों सहित अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भगवा गमछे, हिजाब नहीं पहनना चाहिए या कोई धार्मिक झंडा नहीं रखना चाहिए.अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, हज और वक्फ विभाग के सचिव मेजर मणिवन्नन पी द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में अगले आदेश तक सभी छात्रों को कक्षा के भीतर भगवा शॉल, गमछे हिजाब पहनने से रोक दिया है.

आदेश में कहा गया, उच्च न्यायालय का आदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले आवासीय विद्यालयों, महाविद्यालयों, मौलाना आजाद आदर्श अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों पर लागू है. इस पृष्ठभूमि में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों और कॉलेजों और मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनना या किसी अन्य धार्मिक झंडे को रखना प्रतिबंधित है. बतादें कि पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बुर्का और हिजाब पहनकर आई हुई अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश नहीं दिए जाने से शैक्षणिक संस्थानों में तनाव के बीच यह आदेश आया है.

इस बीच, शिवमोगा जिला प्राधिकार द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इन लोगों ने मुस्लिम लड़कियों को पीयू कॉलेज परिसर में बुर्का नहीं पहनने देने के लिए जिला मुख्यालय कस्बे में पीयू कॉलेज अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिकाओं में से एक को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह विचारणीय नहीं है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहमथुल्ला कोतवाल से कहा कि आप इतने महत्वपूर्ण मामले में अदालत का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं. वहीं, याचिकाकर्ता के वकील विनोद कुलकर्णी (जिनकी याचिका विचाराधीन है) ने कोर्ट में कहा, यह मुद्दा उन्माद पैदा कर रहा है और मुस्लिम लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है.

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