ज्योतिष : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत ही अधिक महत्व होता है। महिलाएं इस दिन करवा चौथ का व्रत करती हैं, जो बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ से पति-पत्नी में प्रेम कई गुना बढ़ जाता है। इस वर्ष यानि 2020 में 4 नवम्बर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत के दिन चांद रात्रि 8:16 बजे निकलेगा।
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पुराणों के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। लोकप्रचलन के अनुसार करवा चौथ के दिन जो पति-पत्नी अपनी सास या मां को उपहार नहीं देते हैं तो उनका करवा चौथ का व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता है। करवा चौथ का त्योहार प्रेम का प्रतीक है इसलिए करवा चौथ के दिन अपनी पत्नी को उपहार जरुर दें। उपहार में आप सोने-चांदी के आभूषण, भगवान की कोई भी प्रतिमा आदि दिया जा सकता है। करवा चौथ के दिन गुलाब का फूल उपहार में देने से प्रेम और कई गुना अधिक बढ़ जाता है। करवा चौथ के दिन अगर सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की लम्बी उम्र होती है। और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होता है।
हालांकि पूरे भारत वर्ष में हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़े धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं। लेकिन उत्तर भारत में खास करके इस पर्व के दिन बहुत अलग ही नजारा होता है। करवा चौथ व्रत के दिन एक ओर जहां पूरा दिन कथाओं का दौर चलता है तो वहीं दूसरी ओर दिन ढलते ही विवाहित महिलाओं की नजर चांद के दीदार के लिए बेताब हो जाती है। चांद निकलने पर छतों का नजारा भी देखने लायक होता है। दरसअल सारा दिन पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखने के बाद आसमान के चमकते चांद का दीदार करके अपने चांद के हाथों से निवाला खाकर अपना उपवास महिलाएं खोलती हैं।
करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही चार बजे के बाद शुरू हो जाता है। और रात को चंद्र दर्शन के बाद हीर व्रत को खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और करवा चौथ व्रत की कथा सुनी जाती है। विवाह के बाद 12 अथवा 16 साल तक लगातार करवा चौथ के इस उपवास को किया जाता है। लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिता करवा चौथ के व्रत को रख सकती हैं। शास्त्रों में करवा चौथ को बहुत ही श्रेष्ठ व्रत माना गया है।
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