(Karwa Chauth 2018)करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना की जाती है और इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. मिट्टी के टोटीनुमा पात्र जिससे जल अर्पित करते हैं, उसको करवा कहा जाता है और चतुर्थी तिथि को चौथ कहते हैं. इस दिन मूलतः भगवान गणेश, गौरी तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है.
चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन मैं सुख शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह पर्व सौंदर्य प्राप्ति का पर्व भी है. इसको मनाने से रूप और सौंदर्य भी मिलता है.
करवा चौथ का महत्व-
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास रखा जाता है. करवा चौथ के दिन मां पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी की भी पूजा की जाती है. इस पूजा में करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है.
करवा चौथ में चंद्र उदय और व्रत खोलने का मुहूर्त-
दिल्ली | रात 8 बजकर 1 मिनट |
चंडीगढ़ | शाम 7 बजकर 57 मिनट |
जयपुर | रात 8 बजकर 07 मिनट |
जोधपुर | रात 8 बजकर 20 मिनट |
मुंबई | रात 8 बजकर 31 मिनट |
बेंगलुरु | रात 8 बजकर 22 मिनट |
हैदराबाद | रात 8 बजकर 22 मिनट |
देहरादून | शाम 7 बजकर 52 मिनट |
पटियाला, लुधियाना | रात 8 बजे |
पटना | शाम 7 बजकर 46 मिनट |
लखनऊ, वाराणसी | शाम 7 बजकर 40 मिनट |
कोलकाता | शाम 7 बजकर 22 मिनट |