जेलों में बंद कैदियों को हुनरमंद बनाएगा कौशल विकास मिशन, फ्री में देंगे ट्रेनिंग
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को अब सरकार हुनरमंद बनाएगी। इसके लिए उन्हें न सिर्फ प्रशिक्षित किया जाएगा बल्कि प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। जेल से रिहा होने के बाद वे अपराध के बजाय रोजगार के रास्ते पर जाएं, इसके लिए कौशल विकास मिशन द्वारा यह कवायद की जा रही है। जेलों में बंद कैदियों को तीन से छह महीने का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण सजायाफ्ता या उन कैदियों को दिया जाएगा, जिन्हें कोर्स की तीन या छह महीने की अवधि के बाद जेल से बाहर निकलना हो, ताकि वे कोर्स पूरा करके निकलें। कौशल विकास मिशन ने इस सम्बंध में योजना तैयार कर ली है।
फरवरी के अंतिम हफ्ते से ही इसकी शुरुआत करने की तैयारी है। कौशल विकास मिशन के तहत प्रदेश में तीन से छह माह के कुल 234 कोर्स का संचालन किया जाता है। जेलों में इनमें करीब एक से दो दर्जन कोर्स का संचालन किया जाएगा। इसे मार्केट की डिमांड और कैदियों की रुचि के अनुसार शुरू किया जाएगा। इस योजना के तहत प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, कम्प्यूटर, मशरूम आदि की खेती, पारंपरिक कोर्स, महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई व बुनाई आदि के कोर्स संचालित करने की योजना है।
मिशन निदेशक ने दिए निर्देश कौशल विकास मिशन के निदेशक आन्द्रा वामसी ने बुधवार को ही सूबे के सभी 75 जिलों के प्रभारियों के साथ मीटिंग कर तैयारी का निर्देश दिया है। इसी हफ्ते सभी जिलों से इसकी रिपोर्ट भी भेज दी जाएगी। इसके बाद जिलों के मिशन प्रभारी इस सम्बंध में जेल प्रशासन से भी सम्पर्क करेंगे। कैदियों को प्रेरित करने के बाद इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
जिला कौशल विकास मिशन के प्रबंधक, कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि कौशल विकास मिशन की ओर से जेलों में बंद कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए योजना बना ली गई है। इन्वेस्टर्स समिट के दिन ही 12 फरवरी को इस पर मिशन और कारागार विभाग के बीच एमओयू साइन होगा।
कैदी हुनरमंद होने के बाद भी जेल में बंद है या किसी कैदी को किसी खास काम में महारत हासिल है तो उसे ही वही काम मिलेगा, इसलिए जेल में रहने के दौरान कैदी अपने हुनर का प्रयोग करते रहेंगे। जेल से रिहा होने के बाद भी वे हुनर की बदौलत कमा सकेंगे।
इस व्यवस्था के लिए कौशल विकास मिशन और कारागार विभाग द्वारा इन्वेस्टर्स समिट के दिन यानी 12 फरवरी को एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाएगा। उससे पहले जिला प्रशासन की अध्यक्षता में दोनों विभागों की स्थानीय स्तर पर बैठक होगी।