पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से होती है पुत्र रत्न की प्राप्ति, जानिए तिथि-शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली : सनातन धर्म के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी के व्रत आते हैं, लेकिन सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करके विधि विधान से पूजा पाठ करने से सुयोग्य पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है, और सभी पापों का नाश हो जाता है.
सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पुत्रदा एकादशी पड़ती है. पुत्रदा एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की आराधना करने वाले श्रद्धालु को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, इसीलिए सावन के महीने में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है. इस साल सावन में 27 अगस्त दिन रविवार को पड़ेगा . ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक साल में 24 एकादशी के व्रत आते हैं 12 व्रत शुक्ल पक्ष और 12 व्रत कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं.
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है. उन्होंने कहा कि पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करके उपवास रखना चाहिए.
ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आचार्य पंडित अरुणेश मिश्रा ने बताया कि सावन के महीने में आने वाली उत्तर एकादशी की शुरुआत 27 अगस्त 2023 को प्रातः 12:08 बजे से प्रारंभ होगी और 27 अगस्त 2023 को रात्रि 09:32 बजे समापन होगा. व्रत का पारण 28 अगस्त 2023 को सुबह 05:57 बजे से 08:31 बजे तक होगा.