इन नियमों को ध्यान में रखकर घर लाएं भगवान की हर प्रतिमा
हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान की प्रतिमा को घर में रखने से सुख-शांति आती है। घरों में रखी कुछ मूर्तियां लकड़ी की बनी होती है तो वहीं कुछ मूर्तियां पत्थर की बनी होती हैं। लेकिन क्या आप में से कोई ये बात जानता है कि घर में कैसी मूर्तियां होनी चाहिए। इसके बारे में वराह पुराण में लिखा गया है, जिसे आज हम आपको सामने रूबरू करेंगे।
वराह पुराण के अनुसार घर में लगी मूर्तियों में ‘महुआ’ नामक लकड़ी का प्रयोग होना चाहिए। यदि मूर्ति पत्थर से बनी है तो ध्यान रहे कि मूर्ति कहीं से भी टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए। जब भी आप अपने घर में भगवान की कोई भी प्रतिमा लाएं, उससे पहले मूर्ति पर चावल के दाने डालकर उसकी शुद्धि जरूर करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है और भगवान प्रसन्न होते हैं। घर में मूर्ति लगाने से पहले उस मूर्ति के सामने चार पात्र जरुर रखने चाहिए और इन सभी पात्रों में चंदन, पंचगव्य अमृत, एवं शहद होना चाहिए। ऐसी मान्यता भी है कि जिस दिन मूर्ति घर में लाएं, तभी परिवार के सदस्यों को उस दिन व्रत भी रखना चाहिए।
वराह पुराण के अनुसार अगर घर में लगाई जा रही मूर्ति भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार की है तो ऐसे में मूर्ति लगाते वक्त “ॐ नमो नारायण” के मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। इस जाप में ध्यान रहे कि ये जाप आपको बिना रुके करना है।
घर में मूर्ति को पूर्व भाद्रपद के समय ही लगाएं। वहीं तांबे की धातु से बनी मूर्ति की स्थापना ‘चित्रा’नक्षत्र में करनी चाहिए। अगर किसी भगवान की मूर्ति पीतल धातु से बनी है तो ‘ज्येष्ठ’ नक्षत्र में लगाकर उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर रखें। वहीं अगर मूर्ति सोने या चांदी धातु से बनी है तो भी इसी नियम का पालन किया जाना चाहिए।