अन्तर्राष्ट्रीय

US में उपद्रव मचाने की तैयारी में खालिस्‍तानी, भारतीय दूतावास की बढ़ाई गई सुरक्षा

नई दिल्‍ली (New dehli) । खालिस्तानी (Khalistani) एक बार फिर से भारत (India) के खिलाफ विरोध (Oppose) करने की योजना बना रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता दिवस 9Independence Day) के अवसर पर खालिस्तान समर्थक समूहों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मंगलवार को यहां भारतीय दूतावास (embassy) के बाहर सुरक्षा (Security) मुस्तैद (Active) रखी गई। भारतीय दूतावास में भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर समारोह आयोजित किया गया था। इस देखते हुए खालिस्तान समर्थक समूहों ने दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी।

अलगाववादी सिखों का एक छोटा समूह मंगलवार सुबह दूतावास पर एकत्र हुआ। लेकिन यहां अमेरिका पार्क पुलिस, अमेरिका सीक्रेट सर्विस और वाशिंगटन डीसी पुलिस सहित काफी संख्या में सुरक्षाकर्मियों मौजूद रहे। अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने अपने आधिकारिक आवास इंडिया हाउस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। समारोह में अमेरिक में रह रहे भारतीय बड़ी संख्या में शामिल हुए।

ज्ञात हो कि खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने 19 मार्च को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर दिया था। भारतीय अमेरिकियों ने इसकी कड़ी निंदा की थी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। उसी महीने खालिस्तान समर्थकों के एक समूह ने यहां भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन कर हिंसा भड़काने की कोशिश की थी, लेकिन कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने समय पर कार्रवाई करते हुए उन्हें रोक दिया था।

दो दिन पहले कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक प्रमुख मंदिर में दो खालिस्तान समर्थकों ने ‘‘हिंदू विरोधी और भारत विरोधी नारे’’ लिखे पोस्टर चिपका कर उसे विरुपित कर दिया। देश में हिंदू पूजा स्थलों को निशाना बनाने की यह हालिया घटना है। घटना शनिवार देर रात 12 बजकर 29 मिनट के आसपास सरे स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में हुई।

पिछले साल कनाडा में मंदिरों के विरूपण की कम से कम तीन ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं। विदेश मंत्रालय ने पहले भी कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की भारतीयों के खिलाफ घृणा अपराधों और भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि की निंदा की है और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत ने कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों से ‘‘चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा’’ को जगह नहीं देने को कहा है क्योंकि यह संबंधों के लिए ‘‘अच्छा नहीं’’ है

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