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शुक्रवार से खर मास शुरू, मांगलिक कार्यों पर रोक, संक्रांति तक नहीं होंगे गृह प्रवेश

नई दिल्ली : आने वाले शुक्रवार अर्थात् 16 दिसंबर से खर मास शुरू होने जा रहा है। इसके चलते आगामी एक महीने अर्थात् 14 जनवरी संक्रांति तक कोई भी मांगलिक कार्य का आयोजन नहीं हो सकेगा। इस दौरान शादी, सगाई, गृह प्रवेश व अन्य समस्त प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति तक खर मास रहेगा।

धर्माचार्यों व ज्योतिषियों का कहना है कि शुक्रवार 16 दिसम्बर को सुबह 10 बजे के करीब सूर्य वृश्चिक राशि छोडक़र धनु में आ जाएगा। इसके साथ खर मास शुरू हो जाएगा। सूर्य एक महीने तक धनु राशि में ही रहेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन से धनु संक्रांति शुरू हो जाएगी। जिसे धनुर्मास भी कहा जाता है।

16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहा है। इस तारीख के संबंध में पंचांग भेद भी हैं। कुछ पंचांग में सूर्य के राशि परिवर्तन की तारीख 15 दिसंबर बताई गई है। धनु संक्रांति के बाद मकर संक्रांति (14 जनवरी 2023) तक मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं। इस समय को खरमास कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि धनु राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं, बृहस्पति सूर्य के गुरु हैं। उनकी राशि में सूर्यदेव प्रवेश करेंगे यानी सूर्य अब अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहेंगे, उनकी सेवा में रहेंगे। सूर्य जब धनु राशि रहेंगे तो उन पर राहु की दृष्टि पड़ेगी। साथ ही सूर्य-शनि का द्विद्र्वादश अशुभ योग भी बनेगा। सितारों के अशुभ प्रभाव से कई लोगों के कामकाज में रुकावटें आ सकती हैं।

धार्मिक और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, खर मास को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ, मांगलिक काम करने की मनाही होती है। इस दौरान हिंदू धर्म में बताए गए समस्त मांगलिक संस्कार पर रोक लग जाती है। इनमें विशेष तौर पर मुंडन, शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, नामकरण, गृह प्रवेश, गृह निर्माण और वधू प्रवेश, सहित अन्य शुभ काम शामिल होते हैं।

16 दिसंबर से शुरू हो रहा खर मास 2023 के पहले महीने में 14 जनवरी को समाप्त होगा। पंचांग के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में आ जाएगा तो मकर संक्रांति होगी। इसके शुरू होते ही खर मास खत्म हो जाता है। 14 जनवरी को रात 9 बजे सूर्य मकर में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही खर मास खत्म हो जाएगा।

एक साल में सूर्य एक-एक बार गुरु ग्रह की धनु और मीन राशि में जाता है। इस तरह साल में दो बार खरमास रहता है। खरमास में सूर्य ग्रह की पूजा रोज करनी चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। जल में कुमकुम, फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।

इन दिनों में मंत्र जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। इस परंपरा की वजह से खरमास के दिनों में सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक लोग पहुंचते हैं। साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।

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