ह्रदय को स्पर्श करती घटना
उत्तरकाशी: अपने देश के मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले हर्षिल की वादियों में राज्य पक्षी मोनाल की भरमार रहती है। शुक्रवार को हर्षिल में एक मोनल अपनी पीछे पड़े शिकारी बाज से अपनी जान बचाने के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम के हर्षिल स्थित बंगले के परिसर में जा पहुंचा। जहां गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबंधक सुशील डिमरी वा उनकी पत्नी और बेटे ऋषि और अंकित ने मोनाल को देखा वा साथ ही शिकारी बाज को मंडराते हुए देखा। प्रबंधक सुशील डिमरी बताते हैं कि जब वे हर्षिल बंगले में थे तो परिसर में एक मोनाल शिकारी बाज से अपनी जान बचाते बचाते बंगले के परिसर में आ गया, जहां उनके साथ साथ उनकी पत्नी और बच्चों ने मोनाल को पकड़ लिया।
इतने खूबसूरत पक्षी को पाकर बच्चे वा वे स्वयं काफी खुशनसीब है कि उन्हें इस खूबसूरत राज्य पक्षी का दीदार हुआ।। उन्होंने इस राज्य पक्षी के साथ फोटो भी ली व बाद में पुलिस व वन विभाग के अधिकारियों को बुलाया वा बाद में बदहवास मोनाल को वन विभागबके सुपुर्द कर दिया। दरअसल बाज पक्षियों का शिकार करता है। मोनाल पक्षी काफी शांत प्रवृति का होता है व आक्रमक भी नहीं होता है। यदा कदा मोनाल के पीछे जब शिकारी बाज पड़ता है तो वह अपनी जान बचाने के लिए घाटियों की ओर बस्तियों की तरफ उड़ के आ जाता है। ये कभी कभार ही होता है जब शिकार अपनी जान शिकारी से बचा लेता है और खबर बन जाती है।
ऐसे प्रकरण पहले भी घटित होते आए हैं लेकिन तब शिकारी बाज से अपनी जान बचाने बस्ती में मोनाल आ तो जाता थी लेकिन इंसान भी घर आए इस असहाय मोनाल को चट कर जाते थे। यहां आपको बताते चलें कि आज भी इस राज्य पक्षी मोनाल का अवैध शिकार बदस्तूर जारी है। इसका मांस लोगों के बीच काफी प्रिय है। साथी मोनाल की तस्करी भी बड़ी मात्रा में की जाती है। इसकी खूबसूरती ही इसके जान की दुश्मन है।।अमूमन शिकारी बाज से जान बचाना कोई बच्चों का खेल भी नहीं है।
बच गया तो इंसान की दावत बन जाता है न बचे तो शिकारी बाज का शिकार तो होना ही है। बेचारे मोनाल के लिए इधर कुंवा उधर खाई। हालांकि जंगलों में कितने मोनाल प्रतिवर्ष शिकारी बाजों के शिकार होते हैं या फिर तस्करी में मारे जाते हैं इसके आधिकारिक रिकॉर्ड भी नहीं है। हालांकि वन्य जीव संरक्षण बोर्ड द्वारा पहली बार 2008 में इसकी गणना कराई गई थी तब उत्तराखण्ड में मात्र 919 मोनाल ही पाए गए। मोनाल को नेपाल और उत्तराखंड में डाँफे के नाम से भी जानते हैं। यह पक्षी हिमालय पर पाये जाते हैं। मोनल नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी व उत्तराखण्ड का “राज्य पक्षी” है।
प्राकृतिक तौर पर खूबसूरती से लबरेज पहाड़ों की खूबसूरती को मोनाल पक्षी चार चांद लगा देते हैं। इसी खूबसूरती वा दुर्लभता के चलते वर्ष 2000 में मोनाल को उत्तराखंड प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया। चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्गों से गुजरते हुए जंगलों में घाटियों में पहाड़ों में आपको तरह तरह के दुर्लभ वन्य जीव जंतु पशु पक्षियों का दीदार हो जाता है। बशर्ते आपकी पारखी नजर हो। पहाड़ों में मोनाल पक्षी 6000 से 14000 फीट तक की ऊंचाइयों में अपना बसेरा बनाता है। इस खूबसूरत मोनाल पक्षी आकार में मुर्गी के बराबर हो होता है। सामान्यतः मोनाल इंसानी बस्ती में कभी रुख ही नहीं करता है और न ही जंगलों में वह आसानी से नजर आता है। इसके दीदार के लिए दबे पांव काफी धैर्य के साथ ऊंचाई वाले इलाकों में देखा जा सकता है वा अपने कैमरे में कैद किया जा सकता है।। मोनाल के आहार में आहार कीड़े मकोड़े घास की कोंपलें, पत्तियां, जडें, बीज, जंगली फल ही होते हैं।
उत्तरकाशी से लोकेंद्र सिंह बिष्ट की रिपोर्ट