राज्यराष्ट्रीय

इस साल होने वाले अंतरिक्ष की दुनिया में कई कमाल, जानिये स्पेस मिशन जिसपर टिकी सबकी नजरें

नई दिल्ली: इस साल अंतरिक्ष की दुनिया में कई कमाल के काम होने वाले हैं. ऐसे स्पेस मिशन जिन पर दुनिया भर की नजरें टिकी है. कुछ ऐसे मिशन जिनपर भारत लगाएगा अपनी नई उड़ान … आइए जानते हैं इनके बारे में… जिनसे हम सब हैं बेखबर …

SpaceX का पहला ऑर्बिटल स्टारशिप होगा लॉन्च
स्पेसएक्स इस साल के शुरुआती महीनों में (संभवतः मार्च तक) अपने पहले ऑर्बिटल स्टारशिप की लॉन्चिंग कर सकता है. इसके अलावा इस यान की इस साल दर्जनों टेस्ट फ्लाइट्स होंगे. स्टारशिप और उसके सुपर बूस्टर्स पूरी तरह से ट्रायल के लिए तैयार हैं. पहली उड़ान में स्टारशिप छोटे समय के लिए धरती के वायुमंडल में जाएगा और उसके बाद वह प्रशांत महासागर में लैंड करेगा. अगर स्पेसएक्स अपने स्टारशिप को रिकवर करके दोबारा उपयोग लायक बना लेगा तो साल 2023 से इस रॉकेट का उपयोग मिशन के लिए किया जाएगा. इससे ही मंगल पर एस्ट्रोनॉट्स भेजने की तैयारी चल रही है.

Axiom Space के जरिए स्पेस स्टेशन जाएंगे निजी यात्री
स्पेसएक्स की योजना है कि वह इस साल ह्यूस्टन में स्थित स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर निजी यात्रियों को भेजे. एक्सिओम मिशन 1 को 28 फरवरी को लॉन्च किया जा सकता है. इसमें चार एस्ट्रोनॉट्स होंगे. जिसमें पूर्व नासा एस्ट्रोनॉट माइकल लोपेज एलेग्रिया, लैरी कॉनर, मार्क पैथी और ईटन स्ट्रीब शामिल हैं. निजी यात्रियों का यह सफर 10 दिनों का होगा. आठ दिन स्पेस स्टेशन पर रहेंगे और बाकी दो दिन यात्रा में जाएंगे. इस दौरान 25 माइक्रोग्रैविटी एक्सपेरीमेंट होंगे. जिसमें से कई साइंस, एजुकेशन और आउटरीच से जुड़े हैं.

ह्यूस्टन इनश्यूटिव मशीन के जरिए चांद पर लैंडिंग
अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित इनश्यूटिव मशीन अपना एक चांद पर लैंडर उतारेगी. इस लैंडर का नाम नोवा-सी लूनर लैंडर. इसे नासा वित्तीय मदद कर रही है. स्पेसएक्स का फॉल्कन 9 रॉकेट इसे लॉन्च करेगा. पहले यह लॉन्च साल 2021 में होना था, लेकिन अब यह लॉन्चिंग 2022 के शुरुआत में होगी. इस मिशन में नासा के पास कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेस चांद पर जाएंगे. इसमें इंग्लैंड की तरफ से पहली बार भेजा जा रहा रोवर भी शामिल है. इस रोवर को ब्रिटिश कंपनी स्पेसबिट ने बनाया है.

NASA SLS मेगारॉकेट पहली बार मून मिशन लॉन्च करेगा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने सबसे बड़े रॉकेट की लॉन्चिंग पिछले साल टाल दी थी. इसका नाम है स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट. यह 332 फीट ऊंचा है. यानी कुतुबमीनार से करीब 100 फीट ऊंचा. भविष्य में सारे मून मिशन इसी रॉकेट से किए जाएंगे. इसके ऊपर ओरियन स्पेसक्राफ्ट लगा होगा. जिसका परीक्षण फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर में चल रहा है. SLS मिशन की पहली उड़ान मानवरहित होगी. इसे अर्टेमिस-1 नाम दिया गया है. यह मार्च तक होने की संभावना है. लॉन्च विंडो 12 से 27 मार्च और 8 से 23 अप्रैल के बीच है.

Starliner का दूसरा मानवरहित टेस्ट मिशन
हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी बोइंग और नासा मिलकर स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग मई 2022 तक कर सकते हैं. पहले स्टारलाइनर की ऑर्बिटल टेस्ट फ्लाइट 2019 में हुई थी. यह स्पेस स्टेशन तक पहुंच ही नहीं पाया था. जिसकी वजह से काफी नुकसान हुआ था. लेकिन इस बार दोबारा मानवरहित ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट किया जाएगा. यह मिशन मार्च 2021 में तय था लेकिन कई तरह की तकनीकी दिक्कतों की वजह से इसकी लॉन्चिंग लगातार टलती रही. स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को एटलस-5 रॉकेट के जरिए लॉन्च करने की घोषणा की गई है.

यूरोप का JUICE लॉन्च, खोलेगा बृहस्पति ग्रह के राज
यूरोप का ज्यूपिटर आइसी मून एक्सप्लोरर मई 2022 में लॉन्च किया जा सकता है. इसकी लॉन्चिंग यूरोपियन स्पेस एजेंसी करेगी. यह स्पेसक्राफ्ट साल 2029 तक बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चंद्रमाओं तक पहुंचेगा. यह बृहस्पति ग्रह के तीन बड़े चांद – गैनीमेडे, यूरोपा और कैलिस्टो की स्टडी करेगा.

James Webb स्पेस टेलिस्कोप ऑनलाइन हो जाएगा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा 25 दिसंबर को छोड़े गए जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप से उम्मीदें बढ़ जाएंगी. क्योंकि यह लॉन्च के करीब छह महीने बाद पूरी तरह से सक्रिय होगा. इसके सारे यंत्र शुरु होने और आपस में सामंजस्य बिठाने में इतना समय ले लेंगे. इसमें 50 प्रमुख यंत्रों का ऑन होना और 178 रिलीज मैकेनिज्म का शुरु होना बाकी है. जब यह पूरी तरह से सक्रिय हो जाएंगे, तब यह टेलिस्कोप अपनी पूरी क्षमता के साथ ऑनलाइन हो जाएगा. यानी ग्राउंड स्टेशन को सीधे डेटा मिलेगा.

ULA के पहले वल्कन रॉकेट की लॉन्चिंग
यूनाइटेड लॉन्च एलायंस (ULA) अपने पहले वल्कन सेंटॉर रॉकेट की लॉन्चिंग इसी साल करेगा. वल्कन सेंटॉर रॉकेट अमेरिका के सबसे भरोसेमंद एटलस-5 और डेल्टा-4 रॉकेट की जगह लेगा. इसमें नए बूस्टर लगाए गए हैं, जो रूसी इंजनों की जगह लेंगे. इसमें जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन के रॉकेट इंजन लगाए गए हैं. इसकी लॉन्चिंग साल 2021 में होनी थी लेकिन तकनीकी वजहों और सप्लाई चेन बिगड़ने की वजह से अब इसकी लॉन्चिंग इस साल होगी. इस रॉकेट के साथ जापान पहली बार अपना रोवर याओकी चांद पर भेज रहा है. इस रोवर को डाइमॉन नाम की जापानी कंपनी ने बनाया है.

रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर करेगा लैंडिंग मिशन
रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग मिशन करेगा. इसकी लॉन्चिंग जुलाई 2022 में संभावित है. इस मिशन का नाम है लूना-25 (Luna 25). रूस 45 साल के बाद चांद पर कोई मिशन भेजने जा रहा है. यह मिशन पहले अक्टूबर 2021 में सोयुज-2-1बी फ्रीगेट रॉकेट के जरिए छोड़ा जाना था. लेकिन स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग सिस्टम में कुछ खामियां दिखने के बाद लॉन्चिंग टाल दी गई. लूना-25 पर 9 पेलोड्स लगे हैं, जो चांद के मौसम, मिट्टी, वातावरण, जलवायु आदि का अध्ययन करेंगे.

अथाह लोहे से भरे साइकी एस्टेरॉयड के लिए होगी लॉन्चिंग
SpaceX नासा के साइकी मिशन के लिए अपने फॉल्कन हैवी रॉकेट से जुलाई महीने में स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करेगा. यह लॉन्चिंग फ्लोरिडा स्थित केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन से होगी. यह मिशन साइकी एस्टेरॉयड के धातुओं का अध्ययन करने के लिए है. यह एस्टेरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच की कक्षा में सूरज के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस क्षुद्र ग्रह पर निकल और लोहे का भंडार है. इन्हीं धातुओं की वजह से हमारे सौर मंडल की शुरुआत हुई थी.

भारत के Gaganyaan का मानरहित टेस्ट फ्लाइट
भारत के पहले मानव मिशन के लिए तैयार किए जा रहे स्पेसक्राफ्ट गगनयान का पहला मानवरहित उड़ान परीक्षण किया जाएगा. यह साल के दूसरे हिस्से में होने की संभावना है. पहला परीक्षण दूसरे हिस्से में और दूसरा परीक्षण दिसंबर 2022 तक पूरा किया जाएगा. दूसरे परीक्षण में गगनयान में ह्यूमन-रोबोट व्योममित्र को स्पेसक्राफ्ट में डालकर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसरो की योजना है कि भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को साल 2023 में अंतरिक्ष की सैर कराई जाए.

Blue Origin के ग्लेन रॉकेट का ट्रायल
जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन अपने पहले ऑर्बिटल रॉकेट New Glenn का परीक्षण करेगी. इसका नाम नासा के पूर्व एस्ट्रोनॉट जॉन ग्लेन के नाम पर रखा गया है. यह 14 टन वजन को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट तक पहुंचा सकता है. जबकि 50 टन वजन को लोअर अर्थ ऑर्बिट तक पहुंचा सकता है. यह रॉकेट पूरी तरह से रीयूजेबल नहीं है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा दोबारा उपयोग के लायक बनाया गया है. इसे नासा के कॉमर्शियल लॉन्च व्हीकल्स की सूची में रखा गया है. इससे पहले न्यू शेफर्ड नाम के रॉकेट से कुछ लोगों ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी.

जूनो स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति के चांद यूरोपा के बगल से उड़ेगा
NASA का जूनो स्पेसक्राफ्ट 4 जुलाई 2016 से बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. यह स्पेसक्राफ्ट कई बार बृहस्पति ग्रह के चंद्रमाओं के अगल-बगल से गुजर चुका है. लेकिन इस साल के अंत तक यह बृहस्पति ग्रह के सबसे बड़े चांद यूरोपा के बगल से दो बार गुजरेगा. फरवरी में 47 हजार किलोमीटर की दूरी से. दूसरी बार सितंबर में 355 किलोमीटर की ऊंचाई से. यानी यूरोपा की सतह के बारे में वैज्ञानिकों को ज्यादा जानकारी मिलेगी. जूनो स्पेसक्राफ्ट सितंबर 2025 तक कार्य कर सकता है.

DART मिशन सितंबर में डिडिमोस एस्टेरॉयड से टकराएगा
धरती को बचाने के लिए नासा ने डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट मिशन हाल ही में लॉन्च किया था. यह सितंबर 2022 में डिडिमोस एस्टेरॉयड के चांद डाइमॉर्फस से टकराएगा. यह काइनेटिक इम्पैक्टर तकनीक का प्रदर्शन करेगा. यानी स्पेसक्राफ्ट डाइमॉर्फस से टकराकर उसकी दिशा में परिवर्तन करने का प्रयास करेगा. अगर यह परीक्षण सफल होता है तो भविष्य में स्पेसक्राफ्ट और रॉकेट के जरिए धरती की ओर अंतरिक्ष से आ रही आफतों की दिशा बदली जा सकती है. इस मिशन को 23 नवंबर 2021 को स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया था.

सितंबर में एक्सोमार्स रोवर रोजैलिंड फ्रैंकलिन की लॉन्चिंग
यूरोपियन स्पेस एजेंसी और रूसी स्पेस एजेंसी संयुक्त तौर पर मंगल ग्रह पर एक रोवर भेज रहे हैं. जिसका नाम है एक्सोमार्स. इसकी लॉन्चिंग अगस्त से अक्टूबर के बीच होगी. साल 2019 से 2020 तक कई सफल परीक्षण किए गए. कुछ तकनीकी बाधाएं और खामियां दूर की गईं. इसकी लॉन्चिंग जुलाई 2020 में ही होनी थी, लेकिन टलती रही. इस रोवर का नाम साइंटिस्ट रोजैलिंड फ्रैंकलिन के नाम पर रखा गया है. यह मंगल ग्रह पर अलग-अलग गैसों की स्थितियों की जांच करने रहने लायक माहौल की जांच करेगा.

नासा का PRIME-1 दिसंबर में होगा लॉन्च
नासा ह्यूस्टन में स्थित स्पेस कंपनी इनश्यूटिव मशींस की आइस माइनिंग ड्रिल मिशन को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिसंबर में लॉन्च करेगा. इस मिशन का नाम है पोलर रिसोर्स आइस माइनिंग एक्सपेरीमेंट -1 (PRIME-1). इस मिशन के जरिए नासा बर्फ से पानी निकालने का प्रयोग करेगी. अगर यह मिशन सफल होता है तो अर्टेमिस प्रोजेक्ट के तहत साल 2025 में चांद पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को पानी मिलता रहेगा.

Dream Chaser कार्गो मिशन
निजी स्पेसक्राफ्ट कंपनी सियेरा नेवादा ड्रीम चेसर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपना कार्गो मिशन इसी साल से शुरू करेगी. यह यान केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा. इसे उसी रनवे से लॉन्च किया जाएगा, जहां से नासा का आखिरी शटल यान अटलांटिस एसटीएस-135 जुलाई 2011 में लॉन्च किया गया था.

Related Articles

Back to top button